दो विवाह अथवा अनेक विवाह योग :-
अनेक बार कुंडली देखते समय अनेक विचित्र योग देखने को मिलते है। बहुत से लोगों की कुंडली में दो विवाह अथवा अनेक विवाह के योग होते है। विवाह तय करने से पूर्व इस बात पर भी ध्यान देना जरुरी है कि कहीं लड़के या लड़की की कुंडली में दो विवाह या बहु विवाह का योग तो नही है. कुछ ऐसे योगों का विवरण इस प्रकार है :-
अनेक बार कुंडली देखते समय अनेक विचित्र योग देखने को मिलते है। बहुत से लोगों की कुंडली में दो विवाह अथवा अनेक विवाह के योग होते है। विवाह तय करने से पूर्व इस बात पर भी ध्यान देना जरुरी है कि कहीं लड़के या लड़की की कुंडली में दो विवाह या बहु विवाह का योग तो नही है. कुछ ऐसे योगों का विवरण इस प्रकार है :-
- सप्तमेश या दूसरे भाव का स्वामी निर्बल होकर पाप प्रभाव में हो तो व्यक्ति के दो विवाह होते है।
- यदि सातवें भाव में पाप ग्रह हो तथा सातवें भाव का स्वामी नीच राशि में हो तो दो विवाह का योग होता है।
- यदि सप्तमेश पापी ग्रह के साथ तथा शुक्र शुभ ग्रह के साथ हो तो व्यक्ति के दो पत्नियां होती है।
- सप्तमेश पापी ग्रहों के साथ चर राशि में व उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति के दो पत्नियां होती है।
- यदि दूसरे भाव का स्वामी और सातवें भाव का स्वामी , दोनों ही शुभ ग्रहो से युत या दृष्ट हो तो भी दो पत्नियां होती है।
- सातवें भाव में मंगल शुक्र अथवा मित्र राशि में चन्द्रमा हो तथा आठवें भाव में लग्नेश हो तो भी दो पत्नियों का योग बनता है।
- यदि शुक्र राहु या मंगल से युत अथवा दृष्ट होकर द्विस्वभाव राशि में हो तो व्यक्ति तीन विवाह करता है।
- दूसरे और सातवें भाव में पाप ग्रह अधिक संख्या में हो तथा इनके स्वामी भी पापी ग्रह के साथ हो तो तीन विवाह होते है।
- लग्न दूसरा व तीसरा भाव में पापी ग्रह हो तथा सप्तमेश नीच राशि में हो तो भी तीन विवाह होते है।
- मंगल व राहु के साथ द्विस्वभाव राशि में शुक्र हो तथा उस पर पाप ग्रह की दृष्टि हो तो व्यक्ति के ४ पत्नियां होती है।
- यदि ग्यारहवें भाव में स्थित पंचमेश व सप्तमेश पर तृतीयेश की दृष्टि हो तो जातक की पांच पत्नियां होती है।
- यदि सातवें भाव का स्वामी अपनी उच्च राशि।, मित्र राशि, अथवा स्वराशि में द्वितीयेश व दशमेश के साथ केंद्र अथवा त्रिकोण में हो तो व्यक्ति एक से अधिक विवाह करता है।