कुंडली में शिक्षित होने के योग
कुंडली में वर वधू की शिक्षा देखना भी बहुत आवश्यक होता है आज के समय में अशिक्षित व्यक्ति का समाज में कोई मूल्य नही है. अशिक्षित लड़के लड़कियों को प्रतिदिन अनेक समस्याओ का समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए आजकल विवाह सम्बन्ध तय करते समय शैक्षिक योग्यता पर अधिक ध्यान दिया जाता है, ज्योतिष में शिक्षा का विचार मुख्य रूप से पंचम भाव से किया जाता है परंतु व्यावसायिक शिक्षा को दशम भाव से देखा जाता है। शिक्षा का कारक गुरु और बुध है। कुंडली में यदि पंचम व दशम भाव के साथ इनके स्वामी तथा गुरु व बुध भी शुभ स्थिति में हो तो शिक्षा का अच्छा योग होता है।
कुंडली में वर वधू की शिक्षा देखना भी बहुत आवश्यक होता है आज के समय में अशिक्षित व्यक्ति का समाज में कोई मूल्य नही है. अशिक्षित लड़के लड़कियों को प्रतिदिन अनेक समस्याओ का समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इसलिए आजकल विवाह सम्बन्ध तय करते समय शैक्षिक योग्यता पर अधिक ध्यान दिया जाता है, ज्योतिष में शिक्षा का विचार मुख्य रूप से पंचम भाव से किया जाता है परंतु व्यावसायिक शिक्षा को दशम भाव से देखा जाता है। शिक्षा का कारक गुरु और बुध है। कुंडली में यदि पंचम व दशम भाव के साथ इनके स्वामी तथा गुरु व बुध भी शुभ स्थिति में हो तो शिक्षा का अच्छा योग होता है।
- पंचमेश यदि किसी शुभ भाव का स्वामी व शुभ राशि में हो तो तथा शुभ ग्रह से देखा जाता हो तो व्यक्ति शिक्षित होता है
- दशम भाव तथा इसका स्वामी दोनों ही बलवान हो तथा किसी शुभ ग्रह के प्रभाव में हो तो व्यक्ति उच्च व्यावसायिक शिक्षा ग्रहण करता है।
- पंचम भाव में बुध हो तथा पंचम भाव का स्वामी बली होकर केंद्र में हो तो व्यक्ति शिक्षित व बुद्धिमान होता है।
- केंद्र अथवा त्रिकोण में बलवान गुरु होने पर भी व्यक्ति अच्छा शिक्षित होता है।
- पंचम भाव में शुभ ग्रह हो तथा गुरु, बुध , व पंचम भाव के स्वामी पर शुभ ग्रह की दृष्टि हो तो जातक शिक्षित होता है।
- पंचम व दशम भाव पर शुभ ग्रह का प्रभाव हो तथा इनके स्वामी त्रिक भाव में नही गए हुए हो तो भी जातक उच्च शिक्षा ग्रहण करता है
- पंचम भाव का स्वामी उच्च राशि में अथवा दो शुभ ग्रहों के मध्य हो तो भी व्यक्ति अच्छी शिक्षा ग्रहण करता है।
- पंचमेश अथवा दशमेश या दोनों केंद्र या त्रिकोण में बली अथवा एक दूसरे को देखते हो अथवा साथ साथ हो तो जातक उच्च शिक्षा प्राप्त कर राजकीय सेवा में उच्च पद प्राप्त करता है
- चन्द्र बुध व शुक्र तीनों ग्रह कारकांश लग्न अथवा द्वितीय भाव को देखते है तो व्यक्ति चिकित्सक चिकित्सक होता है।
- धन भाव का स्वामी बुध अपनी उच्च राशि में हो , गुरु लग्न में हो तथा शनि अष्टम भाव में हो तो व्यक्ति गणितज्ञ होता है। इसके अतिरिक्त यदि गुरु केंद्र अथवा त्रिकोण में, शुक्र उच्च राशि में तथा बुध धन बहाव में हो तो भी जातक गणितज्ञ होता है।
- दशम भाव का स्वामी पंचम भाव अथवा लग्न में हो तो तथा पंचमेश से सम्बन्ध हो तो व्यक्ति कवि होता है।
- पंचमेश दशम अथवा एकादश भाव में हो तो भी जातक विद्वान् होता है। '
- अष्टमेश पंचमेश अथवा बुध यदि नवम भाव में हो तो व्यक्ति लेखक होता है।