Meen rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge
मीन राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिए इस लेख में-
मीनः- मेष -
अग्नि और जल एक दूसरे से बिल्कुल विपरीत है। दोनों के बीच समानता खोज पाना कठिन है। ओजपूर्ण मेष, मीन की रहस्यमय गहराई को मापने में असफल रहता है। उसके लिये मीन सौम्य या अनिश्चय वाली राशि है। यह संबंध लेन देन की भावना से ही सफल होता है।
मेष जातक मीन जातिका के विचित्र और बदलते मूड को समझने में हमेशा असमर्थ होता है। किंतु इसे वह अधिक महत्वपूर्ण नहीं समझता। उसका संरक्षणात्मक रवैया मीन जातिका को परेशान कर सकता है। हो सकता है उस समय बीतने के साथ वे अपने को एक दूसरे के अनुकूल ढाल सकें। लेकिन उनके बीच पूर्ण समझ कभी स्थापित नही हो सकती है। मेष पति अनेक बार अपने कार्य में परिवर्तन कर सकता है और नये कार्य में पूरे उत्साह से लग सकता है। मीन पत्नी को इससे कितनी ही परेशानी हो, पति उससे समर्थन की आशा ही करेगा। जिससे तनाव पैदा होगा। पत्नी की वृत्ति पर पति का कोई ध्यान नहीं होता।
दोनों के बीच यौन संबंधों में भी गलतफहमी हो सकती है। क्योंकि पत्नी रोमांटिक भ्रमों को बनाये रखना चाहती है। पति को पत्नी के साथ अधिक कोमलता बरतनी होगी। और अपनी स्वार्थी भावनाओं को नियंत्रण में रखना होगा। अन्यथा पत्नी की वैवाहिक संबंधों में रूचि समाप्त हो जायेगी।
मेष जातिका और मीन जातक के संबंध जटिल हो सकते है। पति को निराशा या थकान में पत्नी की शक्ति और सहारे की आवश्यकता होती है। किन्तु ज्यों ही वह उसे दुलारने के लिये स्वयं को तैयार करती है, अचानक पति का पौरूष जाग जाता है और वह संरक्षक पति की भूमिका ग्रहण करने लगता है। कभी कभी मीन पति किसी समस्या को लेकर अपने खोल में घुस जाता है। और पत्नी उससे कट जाती है। वैसे वह अधिकांश निर्णय पत्नी पर छोड देता है। लेकिन यदि पत्नी के निर्ण उसकी योजनाओं से मेल न खाये तो वह उनकी उपेक्षा कर देता है।
यौन संबंधों में मीन पति स्थिति के अनुसार अपने को ढाल सकता है। किन्तु वह बहुत संवेदनशील होता है और कोई आलोचना सहन नहीं कर सकता। लडकों के साथ शराब पीने की उसकी प्रवृति से कभी कभी उसके यौन जीवन पर प्रभाव पडता है। पत्नी स्वयं को उपेक्षित महसूस करती है। वैसे उनके लिये ये आनंद के क्षण होते हैं।
मीन - वृष -
पृथ्वी तत्व और जल तत्व का यह मेल बहुत अनुकूल रह सकता है। इन राशियों के स्वामी शुक्र और वरूण में कोई टकराव नहीं है। वृष जातक तथा मीन जातक दोनों सौन्दर्य, कला, आनंद, भोग आदि को पसंद करने वाले है। वृष व्यावहारिक है जबकि मीन प्रायः बादलों में विहार करता है। इनका मेल यथार्थवादी और स्वप्नदर्शी का मेल है। जब उनके बीच समस्याएं पैदा होती है तो भावनाओं का वेग स्पष्ट चिंतन को ढक लेता है।
पत्नी वृष हो और पति मीन हो तो पत्नी को आरंभ में ऐसा लगता है कि पति उसकी हर बात मानने को तैयार है। बाद में उसे पता चलता है कि एक क्षण वह कुछ चाहता है और दूसरे ही क्षण उससे विपरीत मांग रखता है। पति अपने अतिरिक्त किसी दूसरे की राय सुनना पसंद ही नहीं करता। जब समस्याएं खडी हो जाती है तो मीन पति उन पर समझदारी से चर्चा करने की बजाय पीछा छुडाकर भागता है और उम्मीद करता है कि वह समस्या स्वयं ही हल हो जाये। तनाव बढने पर वह किसी शांत स्थान की तलाश करता है। अपने गम भुलाने के लिये नशा करने लगता है। निरंतर दो विरोधी विचारधाराओं में झूलते रहने के कारण वह कोई भी निर्णय करने में असमर्थ रहता है। वृष पत्नी को इसके लिये तैयार रहना चाहिये।
यौनसंबंधों में मीन पति अपनी वृष पत्नी की इच्छाओं के प्रति बहुत संवेदनशील रहता है औरउसे प्रसन्न करने का पूरा प्रयास करता है। इस पर भी यदि वह विफल रहे और पत्नी की आलोचना का शिकार बने तो शयया से उठकर चल देता है।
यदि पति वृष और पत्नी मीन हो तो पत्नी का रोमांस प्रिय मन पति के यथार्थवाद से टकरायेगा। दूसरे की समस्याओं में स्वयं को उलझा लेने की उसकी प्रवृति से कठिनाइयां पैदा हो सकती है। विशेषकर जहां रूपये पैसे का सवाल होता है। जिस पर भी दया आ जाये, वह उसकी आर्थिक सहायता के लिये तैयार रहती है। व्यावहारिक पति को यह कैसे सहन हो सकता है ? यदि पत्नी की वृत्ति का उसके गृहस्थ जीवन पर प्रभाव पडता हो तब भी वृष पति की ईष्र्या और जिद आडे आ सकती है। पत्नी के स्वतंत्र होने के प्रयास से उसके पौरूष को चोट पहंुचती है। इससे स्थिति कभी कभी अत्यन्त तनावपूर्ण हो उठती है। यौन जीवन में भी ऐसी समस्याएं आ सकती है। जब पत्नी रोमांटिक मूड में हो और पति का प्रेम करने का ढंग एकदम पशु समान हो तो पत्नी की संवेदनशीलता हो आघात लगता है। कठिनाई यह है कि वृष पति किसी भावनात्मक परिवर्तन को स्वीकार नहीं करता और पत्नी की ओर से चमत्कार की आशा लगाए रहता है।
मीन - मिथुन -
वायु और जल की प्रतिकूलता मिथुन और मीन जातक के स्वभाव या विचार में भी स्पष्ट दिखाई देती है। मिथुन जातक तर्कपूर्ण, तथ्यपूर्ण तथा बौद्धिक विचारों वाला होता है। जबकि मीन जातक कल्पनाशील होता है। खयाली पुलाव पकाता है। हमेशा सपने देखता रहता है और संवेदनशील होता है। भावना और अतीन्द्रिय ज्ञान ही उसका जीवन है। मीन जातक के तर्क रहित रंग ढंग में मिथुन जातक को कोई समझदारी दिखाई नहीं देती। मिथुन जातक व्यावहारिक, क्षिप्र, और कुशल होता है। किन्तु मीन जातक प्रायः ढुलमुल रवैये वाला तथा दोराहे पर सवार होता है।
वास्तव में ये दोनों द्विस्वभाव राशियां है। अतः इस संबंध में दो स्थानों पर चार व्यक्तित्व विद्यमान रहते है। यदि पत्नी मिथुन है और पति मीन है तो एक दिन तर्कपूर्ण और नए नए विचारों से उत्साहित दिखाई देता है, और दूसरे ही दिन अपने में सिमटा हुआ, तर्कहीन लगता है। पत्नी उसके एक पक्ष को प्रेम कर सकती है तथा दूसरा पक्ष उनके बीच संघर्ष को ही जन्म दे सकता है। अच्छे संबंध बनाए रखने के लिये पत्नी को पति के और पति को पत्नी के दोनों रूप समझने होंगें। यौन संबंध उनके बीच समस्या नहीं होने होने चाहिये। दोनों को कभी कभी सहारे की जरूरत होती है। दोनों में ही मस्ती की गहरी भावना होती है। मीन पति विचित्र कल्पनाओं में खोया रहता है। दूसरों के असामान्य यौन व्यवहार से उनके मन में भी गुदगुदी पैदा हो सकती है। अतः यौन संबंध साहित्य या चित्र उसमें कामेच्छा जगाने में प्रमुख भूमिका निभा सकते है। पत्नी को इसकी उपेक्षा कर देनी चाहिये।
यदि पति मिथुन है और पत्नी मीन हो तो पत्नी के मन में पति के हरजाईपन से ईष्र्या हो सकती है तथा पति पत्नी की अधिकार भावना के विरूद्ध विद्रोह कर सकता है। दबाव का उस पर विपरीत प्रभाव ही रहेगा। पति पत्नी दोनों ही मूड वालेे और परिवर्तनशील है, अतः उनके संबंध थकाने वाले और जटिल हो सकते है। दोनों अपने पृथक व्यक्तित्व को बनाए रखना चाहते है और आर्थिक क्षेत्र में स्वतंत्रता रखेंगें। आर्थिक मामलों में दोनों का टकराव हो सकता है। क्योंकि कोई भी उत्तरदायित्व उठाने को तैयार नहीं होगा और कर्जदार उनके दरवाजे पर खडे रहेंगे। जिससे उनकी शांति भंग होगी।
पत्नी की कल्पनाशीलता पति को बौद्धिक प्रोत्साहन प्रदान करेगी। वे अपनी समस्याएं शयन कक्ष में सुलझाने का प्रयास कर सकते है, किन्तु सुबह होते ही यथार्थ उनके संबंधों पर चोट करता मिलेगा। इस स्थिति में उनके टूटने का पूरा खतरा है।
मीन - कर्क-
यह मेल दो जल राशियों का है, अतः उनके सम्बन्धों में तर्क और समझदारी के स्थान पर भावनाओं और अतीन्द्रिय ज्ञान का अधिक बोलबाला रहेगा। व्यावहारिक आवश्यकताएं उलट-पुलट सकती हैं। दोनों बहुत रूमानी हैं और प्यार पाना तथा करना उनकी बुनियादी जरूरत है।
पत्नी कर्क जातिका और पति मीन जातक होने पर दोनों के लिए एकदूसरे को बिना अधिक प्रयास के समझना सरल होगा। मीन पति के मन में हर संकटग्रस्त प्राणी के लिए सहानुभूति उमड़ पड़ेगी। फलस्वरूप उनका घर आवारा कुत्तों, बिल्लियों या निराश्रित पशु-पक्षियों का चिड़ियाघर बन सकता है।
निराशा के दौर में मीन पति में पीने तथा धुआं उड़ाने की प्रवृत्ति पनप सकती है तथा उसे काफी देखभाल की आवश्यकता है। यह सब अधिक वितंडावाद के बिना होना चाहिए। कर्क पत्नी में विद्यमान ममता की भावना का इसमें सदुपयोग हो सकता है।
यौन-व्यवहार में कल्पना की महत्वपूर्ण भूमिका रहने की सम्भावना है। उसका उपयोग रूमानी ढंग से होगा जो दोनों के बीच प्रबल शारीरिक आकर्षण पैदा कर सकता है।
पति कर्क जातक और पत्नी मीन जातिका होने पर भी उनके बीच घनिष्ठ सम्बन्धों के लिए अच्छा आधार रहता है। दोनों को सुखी घरेलू जीवन चाहिए। उनका काफी समय अपने घर की साज-संवार में और उसे अधिक सुविधाजनक बनाने में बीतेगा। कल्पना उन्हें और निकट लाएगी क्योंकि वे एकदूसरे की आशाओं तथा सपनों में भागीदार हो सकते हैं।
उनका यौन-जीवन कोमल भावनाओं से पूर्ण होगा, जिसमें पाशविक इच्छा के बजाय रूमानीपन की प्रेरणादायी शक्ति रहेगी। इस युगल की सफलता की भारी सम्भावनाएं हैं।
मीन - सिंह-
आग और पानी का अन्तर इन दो राशियों में स्पष्ट दिखाई देता है। सिंह सबसे अधिक स्पष्टवादी और बहिर्मुखी राशि है। मीन की प्रकृति रहस्यपूर्ण है। उसकी गहराई को माप पाना प्रायः सम्भव नहीं होता। सिंह जातक मीन जातक को समझने में असफल रहता है। दोनों की अलग-अलग दुनिया है।
सिंह पत्नी के लिए मीन पति का अस्थिर तथा परिवर्तनशील स्वभाव सदा रहस्य बना रहता है। अन्ततः वह उसके असंगत व्यवहार से ऊबकर उद्दड हो सकती है, और पति भी उसे अपने मन से और शरीर से पूरी तरह दूर कर सकता है । यौन-व्यवहार पर भी इन क्षण-क्षण बदलते मूडों का प्रभाव पड़ता है। किन्तु अति कामी सिंह पत्नी इस अवसर पर उन्हें सहने की बेहतर स्थिति होती है। दोनों पक्षों के लिए यौनाचार महत्वपूर्ण है और इसी पर उनके सम् बने रहना या टूटना निर्भर है। सिंह पत्नी यदि ईमानदारी से एक दुर्बल पति को स्वीकार कर सके तो उनके सम्बन्ध अच्छे बने रहेंगे, अन्यथा पति के आशानुरूप सिद्ध न होने पर उसके दुःख का ठिकाना नहीं रहेगा। दोनों के सम्बन्ध जटिल रहने की सम्भावना है।
यदि पति सिंह जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पत्नी शीघ्र पति का अपने पर भारी दबाव महसूस करने लगेगी। पति चाहेगा कि छोटे मोटे काम करते हुए भी वह बराबर सजी-संवरी और सुन्दर दिखाई दे। पति के बड़े-बड़े सौदे और दांव लगाने की प्रवृत्ति पत्नी को भयभीत कर सकती है। वह आर्थिक मामलों में प्रायः पति पर निर्भर रहती है और पति की वित्तीय स्थिति में उतारचढ़ाव से उसका चिन्तित होना स्वाभाविक है, यद्यपि वह कर कुछ नहीं सकती।
ये तनाव उनके यौन सम्बन्धों को भी प्रभावित करते हैं। सिंह पति मीन पत्नी की रूमानी तथा कल्पनाशील इच्छा को पूरा तो बाद में करेगा, उन्हें समझ भी नहीं पाएगा। लेकिन वह गहराई और भावुकता से प्यार अवश्य कर सकता है और पत्नी को दर्द सहकर भी इसी से समझौता करना होगा। पति मन से तो पत्नी को चोट पहुंचाना नहीं चाहेगा, किन्तु उसकी आवश्यकताओं की उपेक्षा कर और अपनी आवश्यकताएं उस पर थोपकर वह करेगा यही । अतः इस साझेदारी से यथासम्भव बचना चाहिए।
मीन - कन्याः-
राशिचक्र में ये दोनों राशियां आमने सामने स्थित होकर एक दूसरे की पूरक हो जाती है। वैसे तो पृथ्वी का जल से मेल होता है। फिर भी दोनों के देखने का ढंग अलग अलग ही है। दोनों एक दूसरे के लिये रहस्य सिद्ध हो सकते है। कन्या जातक तर्क, विश्लेषण, तथ्यों और बुद्धि से परिपूर्ण पे्ररित होता है। मीन जाते भावनाओं तथा अतीन्द्रिया ज्ञान से निर्देशित होता है। कन्या जातक मीन जातक के पागलपन को व्यवस्थित करता है। मीन जातक के रूमानीपन तथा कल्पनाशीलता अन्य जातक के जीवन में रंग ला सकते है।
मीन पति कन्या पत्नी के मूड में हर परिवर्तन का पूर्वानुमान लगा सकता है। वह उसके रूखे तथा आलोचक स्वभाव को भी समझ सकता है। लेकिन इन गुणों से आकर्षित नहीं होता और उनकी ओर से अपनी आंखें मूंद लेता है। वह हर निर्णय पत्नी पर छोड देता है। यदि वह कोई गलती करेगी तो उसका ध्यान आकर्षित करने से नहीं चूकेगा। आर्थिक मामले भी पत्नी को ही सम्हालने होंगे। मीन पति को पैसा काटता है और वह प्रयास करने पर भी व्यावहारिक नहीं हो पाता। कन्या पत्नी अपने मतभेदों पर चर्चा करना चाहेगी। मीन पति उससे कुछ नहीं बोलेगा। लेकिन अपने निजी निष्कर्ष निकालेगा और पत्नी को बता देगा। दोनों के बीच विचारों का आदान प्रदान कठिन होगा। कन्या औरत आमतौर पर भावनात्मक रूप से सरल होती है। किन्तु पति की निराशा या परेशानी के समय उसमें ममता उमड सकती है।
यौन व्यवहार में मीन पति हर प्रकार की कल्पना कर सकता है। उसकी बातों या विचारों को पत्नी यौन विकार समझने लगती है।
कन्या पति मीन पत्नी के लिये एक चुनौति बन सकता है। उसकी आलोचना का उत्तर वह उससे न बोलकर देगी। पति व्यवस्थित जीवन अपनाना पसंद करता है और पत्नी मूड के अनुसार चलती है। वह पति को पे्रम के अयोग्य भी समझ सकती है। क्योंकि कन्या पति के लिये अपने मन की भावनाओं को व्यक्त कर पाना कठिन होगा। आर्थिक मामलों में भी पत्नी की उदारता पति की सावधानी से टकरायेगी।
यौन जीवन में पति के दिमाग और पत्नी के दिल के बीच टकराव होना निश्चित है। घडी देखकर काम करने का पति का स्वभाव उसके यौन व्यवहार में भी परिलक्षित होगा। पत्नी इस एकरसता से उबने लगेगी। उस समय उनके जीवन में किसी तीसरे व्यक्ति की संभावनाएं काफी बढ जायेगी।
मीन - तुलाः-
इन राशियां के स्वामी शुक्र तथा गुरू के बीच सौहार्द वायु तथा जल तत्वों के अन्तर को पाटने में सहायक होता है। दोनों का स्वभाव भिन्न होने पर भी कला, मनोरंजन सौहार्द, विनम्रता, प्रेम, साहचर्य, रूमानीपन आदि में समान विश्वास उन्हें एक दूसरे के समीप ला सकता है । तुला जातक में संतुलन तथा निष्पक्षता की अंतरंग प्रवृत्ति मीन जातक की उलझन, अनिर्णय और व्यवहार शून्यता का जवाब हो सकती है।
यदि पत्नी तुला जातिका है और पति मीन जातक, तो देर सवेर पत्नी यह महसूस करने लगेगी कि पति जीवन को अत्यधिक गम्भीरता से लेता है । वह हर समय खिलाड़ीपन के मूड में रहती है और पति आमतौर से गहरी संवेदनाओं से ग्रस्त रहता है । पत्नी यदि उसे गुदगुदाने का प्रयास करती है तो पति खिलखिलाने के बजाय और उबाल खा जाता है। पत्नी को आश्चर्य होता है कि इस व्यक्ति में क्या परिहास-भावना बिल्कुल नहीं है।
मीन जातक प्रायः अपने मन की बात को प्रकट न करने वाला होता है । तुला पत्नी के लगातार कुरेदते रहने पर उसकी यह प्रवृत्ति और बलवती हो उठती है। पत्नी की समझ में यह बात नहीं आती और दोनों के सम्बन्धों में टकराव बढ़ने लगता है।
यौन सम्बन्धों में मीन जातक पहल करना पसंद करता है । अतः तुला पत्नी के लिए उससे अत्यधिक अपेक्षा न कर और स्वयं पहल न कर उसे इसकी छूट देना बेहतर रहेगा।
यदि पति तुला जातक है और पत्नी मीन जातिका तो और सब तो ठीकठाक रहेगा, किन्तु कठिनाई पत्नी की ईष्र्या से पैदा हो सकती है। मीन जातिका एक समय में एक ही व्यक्ति से प्रेम करने में विश्वास करती है जबकि तुला जातक का स्वभाव हरजाईपन का होता है।
तुला पति मीन पत्नी को अपना निजी जीवन अपनाने में सहायता करेगा और उस पर घर का बोझ नहीं डालेगा। अपना भोजन स्वयं तैयार करने में भी उसे कोई हिचक नहीं होगी। किन्तु आर्थिक समझ दोनो में से किसी एक में न होने से इस क्षेत्र में कठिनाई हो सकती है। यह बात पति को ही सम्भालनी होगी।
दोनों की यौन-भूख प्रायः समान होगी और उन्हें एक दूसरे की आवश्यकताओं को समझने तथा संतोष प्रदान करने में समर्थ होना चाहिए। दोनों कल्पना और खिलवाड़ के शौकीन होते हैं और अपने यौन जीवन में भी नए-नए खेल खेलकर जीवन का भरपूर आनन्द ले सकते हैं।
मीन - वृश्चिक-
इन दो राशियों के बीच एक चुम्बकीय आकर्षण है। मिलकर वे गहन भावनात्मक सम्बन्ध को जन्म देंगी। वृश्चिक में प्रभुत्व की जन्मजात भावना होती है । मीन झुकने का आभास दे सकती है । मीन वृश्चिक के आंतरिक तनावों और बलवती भावनाओं को शान्त कर सकती है। दोनों में एकदूसरे के भावों, आवश्यकताओं, आशंकाओं और दोषों को महसूस करने का सहज ज्ञान होता है । लेकिन यदि उनके बीच विवाद हुआ तो भावना की अधिकता के कारण समझौते में बाधा आएगी।
मीन - धनुः-
आग और पानी का यह मेल जटिलताओं और अनेक सम्भावनाओं से पूर्ण है । कुछ युगलों में दर्शन, धर्म, रहस्यवाद, लोकोपकार, यात्रा या अन्य उच्च आदर्शों के बारे में विचारों की समानता हो सकती है । अन्य युगलों में उलझन, अनिश्चय या कल्पनाओं के लम्बे दौर चल सकते हैं। कुछ मामलों में दोनों एक दूसरे से अलग अपनी-अपनी दुनिया में रहे आएंगे। धनु जातक की स्वतंत्रता-भावना का मीन जातक की कल्पना में अत्यंत बुरा चित्र बनेगा । धनु जातक मूलतः उदार, दयालु और सहायक होते हुए भी मीन-जातक को वैसा कोमल और प्रेमपूर्ण व्यवहार प्रदान नहीं कर सकता जैसा उसके अति संवेदनशील मन को चाहिए । मीन जातक में अनिर्णय, अव्यावहारिकता और उलझन की प्रवृत्ति धनु जातक को अधीर बना सकती है, जो हर काम को शीघ्रता तथा कुशलता से करने में विश्वास करता है।
यदि पत्नी धनु जातिका है और पति मीन जातक, तो पति के अपने रहस्यमय लोक में जा छिपने पर पत्नी की भावनाओं को ठोस पहुंचेगी। वह उसे उसकी उस दुनिया से बाहर निकालने का प्रयास करेगी, लेकिन पति उसकी ओर कोई ध्यान नहीं देगा। पत्नी का आशावादी मन और पति का निराशावाद भी तनाव में वृद्धि करेंगे। दोनों के लिए एक दूसरे की भावना को समझ पाना असम्भव होगा। वित्तीय कठिनाइयां इन असमानताओं को और बढ़ाएंगी। दोनों में से किसी में उनका सामना करने की क्षमता नहीं होगी। पति अरुचिकर यथार्थ से अपनी आंखें मूंद लेगा और पत्नी अपने आशावाद में यह स्वीकार नहीं करेगी कि स्थिति वास्तव में बुरी है।
यौन दोनों के लिए महत्वपूर्ण होगा और उन्हें निकट ला सकता है। पत्नी पति की कल्पना की उड़ान में उसका साथ देगी। किन्तु केवल भौतिक सम्बन्ध अधिक दिन तक कायम नहीं रह सकते और वे अन्यत्र प्रसन्नता की खोज कर सकते हैं।
दूसरी ओर धनु पति का मीन पत्नी की निकटता में दम घुटता मालूम होगा । इस सम्बन्ध में पत्नी की ईष्र्या-भावना की प्रमुख भूमिका रहेगी और उसके उबाल खाने पर पति अधिकाधिक घर से बाहर रहने लगेगा। पत्नी घर के कामों में और अपनी वृत्ति में ध्यान लगाकर अपने मन को शांत करने का प्रयास करेगी, किन्तु यह अधिक समय तक नहीं चल सकता। मीन-पत्नी को अपने संतोष के लिए स्थायी भावनात्मक सम्बन्ध चाहिए। बार-बार के वित्तीय संकट इस नाटक को और बढ़ाएंगे। यह आशा करना व्यर्थ है कि उनमें से कोई अधिक दायित्वपूर्ण दृष्टिकोण अपनाएगा।
उनका यौन जीवन उनकी अनेक समस्याओं को सरल करने में योग देगा । धनु पति निपुण प्रेमी होता है और पत्नी की हर इच्छा को पूरी करने में गर्व अनुभव करता है । फिर भी अंततः बाहरी तनाव उनके जीवन में प्रवेश कर उनकी यौनेच्छाओं को ठंडा कर देंगे।
मीन - मकरः-
पानी का पृथ्वी से तालमेल है। इन दो राशियों के जातको में भारी अंतर होते हुए भी वे एक-दूसरे के पूरक हैं। मीन जातक को सुरक्षा चाहिए जो उसे मकर जातक से मिल सकती है। मीन जातक अत्यधिक सक शील, भावनात्मक, रूमानी और भावुक होता है । वह मकर जातक की चुपड़ी बातों में आ सकता है। मकर जातक की महत्वाकांक्षाओं को भी मीन जातक से कोई खतरा नहीं दिखाई देता । मकर जातक की प्रबंध-कुशलता और व्यवहारबुद्धि से संवेदनशील मीन जातक को जीवन के कुछ कठोर यथार्थों मे बचत मिलेगी।
फिर भी मीन पति कभी अपने मूड में मकर पत्नी के उस पर हावी होने के प्रयासों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठा सकता है। इस स्थिति में उसके मन का गुप्त पक्ष सामने आने लगेगा। वह कई-कई दिन के लिए मौन-व्रत धारण कर लेगा। मकर पत्नी लाख प्रयास करने पर भी अलगाव की इस दीवार को नहीं तोड़ पाएगी। आर्थिक मामलों में पत्नी को पहल अपने हाथों में लेनी होगी, क्योंकि मीन पति निर्णयों से अथवा जीवन के अरुचिकर पक्ष से परेशान होना पसंद नहीं करेगा।
उनके यौन सम्बन्ध गहरे रहने की सम्भावना है यद्यपि इसमें भी मूड आड़े आ सकते हैं । मीन पति अपनी समस्याओं से ध्यान हटा सकता है जबकि मकर पत्नी नहीं हटा सकती और पति को पत्नी का रूखापन अख र सकता है। लेकिन नैराश्यभावना से मुक्त होने पर वे खुलकर एक-दूसरे को प्यार कर सकेंगे । वस्तुतः उनके सम्बन्ध अत्यंत जटिल रहेंगे।
इससे उलट होने पर, अर्थात् जब पति मकर जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पति के लिए पत्नी के अनिर्णय वाले और क्षण-क्षण बदलते स्वभाव को समझ पाना कठिन होगा। मूड बदलने के साथ-साथ पत्नी की इच्छाएं भी बदलेंगी। विशेषकर यौन-व्यवहार में पत्नी जब भावुक हो रही हो, पति अपनी पाशविक प्रवृत्तियों का प्रदर्शन कर सकता है। पति के व्यवहार से पत्नी में रोष और निराशा पैदा हो सकती है।
मीन - कुुंभ -
वायु प्रधान कुम्भ और जल प्रधान मीन- इससे अधिक असाधारण जोड़ी मिलना कठिन है। इनके स्वामी अपने जातकों को ऐसे गुण प्रदान करते हैं जो अन्य राशियों के जातकों में नहीं मिलते। इन राशियों के जातकों की पटरी इन्हीं राशियों के जातकों के साथ बैठ सकती है । इस जोड़ी के कम से कम दो पक्ष होंगे-सम्बन्धों की ऊपरी पर्त बहुत सामान्य दिखाई देगी जबकि मनोवैज्ञानिक शक्तियों का गुप्त अंतः सम्बन्ध अत्यन्त जटिल होगा। दीर्घकाल तक साथ रहने पर भी दोनों के लिए एक दूसरे की गहराई अथाह रहेगी।
मीन जातक का चरित्र जटिल होता है। आमतौर से उसकी अभिलाषा अपनी पत्नी के जीवन का केन्द्र-बिन्दु बनने की होगी । कुम्भ पत्नी के लिए यह समझ पाना अत्यन्त कठिन है। उसे अपने ही व्यक्तित्व का विकास चाहिए। मीन पति भावुक होता है । जब वह महसूस करता है कि पत्नी उसकी भावात्मक आवश्यकता को पूरा नहीं कर सकती तो वह उससे अलग रहकर अपनी भावी दिशा के बारे में सोचने लगता है। पत्नी के गैर परम्परागत विचारों से उसे आघात पहुंच सकता है और पति के व्यवहार से पत्नी अकेलापन महसूस कर सकती है। आर्थिक पक्ष की दोनों उपेक्षा करना चाहेंगे लेकिन आमतौर से कुम्भ जातक इस दिशा में अधिक समझदार न होने से अन्ततः पत्नी को ही यह भार उठाना होगा।
कुम्भ पत्नी की शारीरिक भूख मीन-पति जितनी प्रबल नहीं होती और उसका व्यवहार पति को असुविधाजनक और अधूरा लग सकता है।
दूसरी ओर, यदि पति कुम्भ-जातक है और पत्नी मीन जातिका तो पति की विरक्ति पत्नी की तीव्र भावनाओं को ठेस पहुंचा सकती है और अंततः वह महसूस करने लगेगी कि पति उसे उतना प्यार नहीं करता जितना वह पति को करती है। पति को प्रेम के लम्बे-चैड़े वादों के बजाय पत्नी की मित्रता चाहिए। किसी एक को दूसरे से विदा लेने में अधिक समय नहीं लगेगा। कुम्भ-जातक भौतिकवादी नहीं होता, किन्तु जब वह आर्थिक मामलों में पत्नी को एकदम उत्तरदायित्वहीन पाएगा तो यह भार स्वयं सम्भाल लेगा। दोनों का यौन-जीवन भी सुखी रहने की आशा नहीं है।
मीन-मीन-
भावनाएं, कल्पनाएं, अतीन्द्रिय ज्ञान, संवेदनशीलता, दिवा स्वप्न आदि इस सम्बन्ध में प्रमुख भूमिका निभाते हैं और तर्क तथा समझदारी पीछे पड़ जाते हैं। दोनों की अपनी-अपनी सपनों की एकांत दुनिया होती है जिसमें वे आवश्यकता पड़ने पर छिप सकते हैं । बिना एक शब्द बोले दोनों एक-दूसरे के मन की गंध पा जाते हैं। दोनों उलझन सार अनिर्णय के शिकार हो सकते हैं, जिसमें उनका बहुत समय नष्ट होगा। भावुक और संवेदनशील होने से दोनों दुःख-सुख दोनों में आंसू बहाएंगे।
उनके समान गुण ही उनमें टकराव को भी जन्म दे सकते हैं। कभी वे एक दूसरे को प्रसन्न करने के लिए हर प्रकार का प्रयास करेंगे और कभी उनके बीचह हफ्तोंतक बोलचाल भी बंद रहेगी। दोनों एक-दूसरे को बहुत ढुलमुल समझकर अधिक दृढ़ साथी की इच्छा कर सकते हैं। दोनों अपनी-अपनी वृत्तियां अपनाने के लिए स्वतंत्र होंगे, किन्तु उनमें इतने खो सकते हैं कि एक-दूसरे के अस्तित्व को ही एकदम भूल जाएं । आर्थिक निर्णय लेने प्रायः असम्भव होंगे।
यौन-जीवन में दोनों अपनी कल्पनाशीलता से रूमानीपन को बनाए रखना चाहेंगे। इसके कारण उनके प्रेम का मुख्य आधार शारीरिक आकर्षण रहेगा। किसी तीसरे व्यक्ति के उनके जीवन में आने पर उनके सम्बन्धों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ने की सम्भावना है।