Friday 16 April 2021

Makar rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge / मकर राशि के अन्य राशि वालो से विवाह संबंध कैसे रहेंगें ? जानिए इस लेख में

Posted by Dr.Nishant Pareek

Makar rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


मकर राशि के अन्य राशि वालो से विवाह संबंध कैसे रहेंगें ? जानिए इस लेख में

मकर - मेष:- 

अग्नि और पृथ्वी तत्व का यह योग तनावपूर्ण रहने की संभावना है। मेष का स्वामी मंगल अधीर और जोशीला ग्रह है। जबकि मकर का स्वामी शनि सावधान, शांत व मंद। मकर भविष्य की योजना बनाकर चलना चाहता है और इसके लिये प्रतीक्षा भी कर सकता है। मेष को तत्काल परिणाम चाहिये। प्रतीक्षा से उसे घृणा है। इस योग में लाभ कम और हानि ज्यादा है। 

यदि पति मेष है और पत्नी मकर है तो प्रारंभ में पति के पहली भेंट में ही बोले गये प्रेम के दो बोल पत्नी को अभिभूत कर देंगे। वह उसकी किसी पागलपन से भरी धनकमाउ योजना के प्रति भी आकर्षित होगी। किंतु पति को फिर शीघ्र उसकी सहज बुद्धि और निराशावाद का सामना करना होगा। मेष पति यह नहीं समझ पाता कि उसकी मकर पत्नी जगह जगह धन छिपाकर क्यों रखती है। वह उसे छेडता है। पत्नी पति को दुनिया का सबसे बडा अपव्ययी समझती है। दोनों की पटरी बैठना असंभव है और पति अन्यत्र सुख की खोज कर सकता है। 

सामाजिक दृष्टि से मकर पत्नी को इस संबंध से लाभ हो सकता है। मेष पति अपनी बहिर्मुखी प्रवृत्तियों में उसे भी शामिल करता है और मकर पत्नी की समझ में आने लगता है कि जीवन में काम के अतिरिक्त और भी कुछ है। लेकिन उसके अन्य पुरूषों के संसर्ग में आने से मेष पति के मन में ईष्र्या जन्म ले सकती है। उनके यौन जीवन में गंभीर समस्याएं नहीं आनी चाहिये। जो आती है, वे पत्नी के निराशावादी मूड के कारण आती है। 

यदि पत्नी मेष है और पति मकर है तो मेष स्त्री कभी कभी व्यावहारिकता के दौर पडने पर मकर जातक की ओर आकर्षित हो सकती है। मेष पति के महत्वकांक्षी विचार उसे अच्छे लग सकते है। उसके स्वतंत्रता प्रेम से भी उसकी पटरी बैठ जाती है। उधर मकर पति को मेष पत्नी की शक्ति और चरित्र की दृढता पा सकती है। लेकिन अधिक समय तक साथ साथ रहने पर पति के अपने काम में व्यस्त रहने पर पत्नी के मन में ईष्र्या भाव पैदा हो सकता है। बुनियादी तौर पर मकर पति बहुत सीधा सादा व्यक्ति होता है और मेष पत्नी उसके लिये बहुत भारी पड सकती है। दोनों के स्वभाव में भारी अंतर होता है। कभी कभी पत्नी पति को उसके निराशा के मूड से बाहर निकाल लेती है। लेकिन इससे उनके बीच तीव्र झडपें नहीं रूकती है। 

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यौन संबंधों में मकर पति अधिक कामी नहीं होता। किंतु थोथे बहाने कर उसके प्रस्ताव को अस्वीकार कर देने पर वह शीघ्र बुरा मान जाता है। उसकी निराशा भी उसके यौन जीवन को प्रभावित करती है। इस दौर में पत्नी को साध्वी का जीवन बिताने के लिये तैयार रहना चाहिये। 

मकर - वृषः-

पृथ्वी तत्व और पृथ्वी तत्व का यह मेल अच्छा रहेगा। सुरक्षा भावी वृष जातक को मकर जातक का व्यावहारिक दृष्टिकोण और धैर्यपूर्वक काम करने की प्रवृति रास आयेगी। दोनों परंपरावादी और उत्तरदायित्व निभाने वाले है। बाहरी भोगों को उनमें से कोई वास्तविक महत्व प्रदान नहीं करता। अतः जीवन कभी कभी उनके लिये काफी गंभीर हो उठेगा। 

यदि पत्नी वृष है और पति मकर है तो दोनों के बीच सहज अनुभूति विद्यमान रहती है। जिससे वे एक दूसरे की भावनाओं को आशा - निराशाओं को और परिहास भावना को समझ सकते है। दोनों स्थायी, सुरक्षित और प्रेमपूर्ण गृहस्थ जीवन पसंद करते है। प्रारंभ में मकर पति अपने को ठीक से व्यक्त नहीं कर पाता। किन्तु कालांतर में वृष पत्नी समझ लेती है कि उसकी भावनाओं को उसके कार्यों से समझना चाहिये, चिकनी चुपडी बातों से नहीं। 

पति की संभोग इच्छा में बहुत उतार चढाव आता रहता है। एक दिन उसमें प्रबल संभोग का वेग रहता है तो दूसरे दिन वह एकदम निढाल हो जाता है। उसके यौन संबंधों पर बाहरी तनावों का भारी प्रभाव पडता है। वृष पत्नी को चाहिये कि उसके तनाव की अनुभूति कर उसके साथ चर्चा करे। इससे उसमें कमी होगी। इस जोडी का जीवन ठीक तरह निभाने की काफी संभावना है। यही बात उस अवस्था में होगी जब पति वृष हो और पत्नी मकर हो। शारीरिक आकर्षण उनके व्यक्तित्व के अंतर को कम कर देगा। दोनों एक दूसरे की रूचियों में दिलचस्पी लेना सीखेंगे। वे पुरातत्व की वस्तुएं एकत्र कर सकते है। क्योंकि दोनों की अतीत में कुछ न कुछ दिलचस्पी होगी। बागवानी में या घर से बाहर छुट्टियां बिताने में भी उनकी रूचि हो सकती है। खतरा यही है कि वे घर में इतने बंध जायेंगे कि बाहरी दुनिया से बिल्कुल कट जायेंगे। 

यौन संबंधों में यह मकर स्त्री के लिये सर्वोत्तम रहेगा। मकर पति अन्य राशि पतियों की अपेक्षा उसमें अधिक यौन भावना जगा सकता है और वह अपने पति को संतुष्ट करना सीख सकती है। 

मकर - मिथुनः-

वायु और पृथ्वी का कोई मेल नहीं है, फिर भी यदि इन दोनों राशियों के जातक चाहे तो वे एक दूसरे के अभावों की पूर्ति कर सकते है। मिथुन में यौवन का उत्साह है जबकि मकर में अनुभव का ज्ञान है। उन्हें अपने मतभेदों के साथ जीना भी सीखना होगा। मिथुन जातक प्रायः दिशा बदलते रहते है। जबकि मकर जातक अपना लक्ष्य प्राप्त किए बिना शांति से नहीं बैठते। वास्तव में इतनी भिन्नता लिए अन्य दो चरित्र मिलना कठिन है। 

यदि पत्नी मिथुन है और पति मकर है तो पत्नी को बातूनी होते हुये भी पति की बात सुननी होगी। इसी प्रकार वह उसके मन के तनाव को कम कर सकती है। बदले में पति पत्नी के अंदर की बेचैनी को शांत कर सकता है। पति को पत्नी की स्वचंछदता पर आपत्ति नहीं होगी। किन्तु जीवन के कलापक्ष में दोनों समान रूप से दिलचस्पी ले सकते है। मकर पति में भविष्य के लिये बचत करने की बलवती भावना रहती है। मिथुन पत्नी तात्कालिक आवश्यकताओं से आगे की बात नहीं सोच सकती। इस अंतर को समझना चाहिये। यौन संबंधों में पत्नी को सीखना होगा कि पति का ध्यान उसकी व्यावहारिक समस्याओं से कैसे हटाया जाये। उसके लिये यह एक नया अनुभव होगा। इससे उसके अहम् को चोट पहुंच सकती है और अपनी संतुष्टि के लिये किसी और पुरूष की खोज कर सकती है। यही समस्या तब आयेगी जब पति मिथुन हो और पत्नी मकर हो। उनके विचारों में इतना अंतर होगा कि यह मेल कुछ सप्ताह ही चलने की संभावना है। इस मेल में पत्नी को आर्थिक मामलों में पहल अपने हाथ में लेने को तैयार रहना चाहिये। क्योंकि उसका मिथुन पति आमतौर पर सोच समझकर घर खर्च चलाने में असमर्थ होगा।

मकर पत्नी सामाजिक जीवन में मिथुन पति का साथ देती है तो उसके हरजाईपन के स्वभाव को देखते हुए उसके मन में ईष्र्या जन्म ले सकती है। इससे बडा संकट तब पैदा होगा, जब पति पत्नी के जीवन के प्रति गंभीर दृष्टिकोण को उबाउ समझने लगे। उनके यौन संबंधों में भी कठिनाइयां पैदा होने की संभावना है। दोनों एक दूसरे से उसका दृष्टिकोण बदलने की आशा करेंगे। इससे उनकी जिद और बढेगी। जब तक दोनों के बीच कोई समझौता न हो, जिसकी आशा बहुत कम है, इस जोडी की सफलता की आशा करना व्यर्थ है। 

मकर - कर्कः-

पानी का पृथ्वी से तालमेल बैठ जाता है, किन्तु राशिचक्र में ये दो राशियां आमने-सामने होने से न केवल वे एक-दूसरे की पूरक हो सकती हैं बरन् उनके बीच तीव्र प्रतियोगिता भी जन्म ले सकती है। जब मकर जातक अपनी महत्वाकांक्षा तथा सफलता को सर्वोपरि समझेगा तब कर्क जातक स्वयं को उपेक्षित या चोट खाया अनुभव करेगा। कर्क जातक मकर जातक में कर्तव्य और उत्तरदायित्व की भावना को सराह सकता है, किन्तु कभी-कभी मकर जातक में उन भावनाओं, हार्दिकता और प्यार का अभाव होता है, जिन्हें कर्क जातक अत्यन्त महत्वपूर्ण समझता है।

यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति मकर जातक, तो उनके बीच आर्थिक समस्याएं पैदा होने की सम्भावना नहीं है। दोनों रुपए-पैसे को सोच-समझकर खर्च करने वाले हैं। लेकिन मकर पति का धंधा उनके यौन सम्बन्धों में हस्तक्षेप कर सकता है। उसे शैय्या पर भी अपने कागज-पत्र पढ़ना अच्छा लग सकता है। पत्नी यदि चतुर है तो वह ऐसे में पति के व्यावसायिक कागजों में कुछ उत्तेजक साहित्य भी छिपाकर रख देगी। पति इसका संकेत स्वयं समझ सकता है।

यदि पति कर्क जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो पति पत्नी की महत्वाकांक्षी प्रवृत्तियों से परेशान हो उठेगा और अपने घेरे में बन्द हो जाएगा जिससे पत्नी उससे मन की बात न कह सके। पति के स्वप्नशील और रूमानी मन को पत्नी अयथार्थवादी कहकर उसे चोट पहुंचा सकती है। हां, दोनों के बीच आथिक समस्याएं पैदा होने की संभावना नहीं है। उनके पास कितना भी कम पसा हो, वे जन्म दिन जैसे अवसर मनाना नहीं भूलेंगे। यह पति-पत्नी के सम्बन्धों को अधिक घनिष्ठ कर सकता है।

यदि पत्नी यौन सम्बन्धों में पति को प्रसन्न रखना चाहती है तो उसे अपने अन्दर रूमानीपन पैदा करना होगा। उधर पत्नी के निराशा के दौर में उसकी उदासीनता पति को स्वीकारनी होगी। कर्क जातक अत्यन्त जिद के होते हैं और वे पत्नी को अपने से और दूर कर सकते हैं।

मकर - सिंहः-

दोनों राशियों के स्वामियों-सूर्य तथा शनि के स्वभाव में आकाश-पाताल का अन्तर है। सिंह जातक मकर जातक की वर्जनाओं से परेशान हो सकता है और मकर जातक सिंह जातक के खर्चीले तथा दिखाऊ स्वभाव से । सिंह जातक जीवन को पूरी तरह जीने में विश्वास करता है जबकि रूढ़िवादी मकर जातक भविष्य की योजना बनाकर चलना चाहता है। मकर जातक सिंह जातक की प्रेम के लिए तड़प को शायद ही समझ पाता हो।

यह बात तब और उभरकर सामने आती है जब पत्नी सिंह जातिका ही और पति मकर जातक।  ऐसा पति घर के बन्धन तोड़कर भाग जाना चाहता है। हो सकता है, किसी दिन पत्नी देखे कि उसका पति शैय्या से गायब है। फिर काफी ढिंढोरा पिट चुकने के बाद एक दिन वह स्वयं ही चुपचाप वापस भी आ सकता है। पत्नी की परेशानी को वह फिर भी अनुभव नहीं करेगा।

दोनों के दृष्टिकोणों में मौलिक अन्तर पाया जाता है। पति का ध्यान इस बात पर नहीं जाता कि उसकी पत्नी ने नए ढंग से बाल संवारे हैं या साड़ी पहनी है । उसे इस बात की चिन्ता भी नहीं होती कि पत्नी भद्दी लग रही है या बुढ़िया दिखाई देने लगी है।

यदि पति सिंह जातक हो और पत्नी मकर जातिका, तब भी दोनों के बीच पटरी बैठना कठिन है। इसके लिए किसी एक को तो झुकना ही होगा, लेकिन एक-दूसरे के प्रति उनका विद्रोह इसे असम्भव बना देगा।

मकर - कन्याः-

दोनों राशियां पृथ्वी तत्व वाली हैं । अतः दोनों जातकों के पांव धरती पर रहते हैं और वे जीवन तथा कार्य के व्यावहारिक पक्ष को समझ सकते हैं । दोनों में कर्तव्य तथा उत्तरदायित्व की भावना विद्यमान रहती है, किन्तु उन्हें मनोरंजन के बिना काम ही काम वाले ढर्रे से बचना चाहिए। कन्या के स्वामी बुध तथा मकर के स्वामी शनि की जोड़ी व्यापार तथा व्यावहारिक मामलों के लिए बहुत ठीक है, लेकिन उसमें प्रेम की भावनाओं तथा रूमानी चमक का अभाव हो सकता है।

वैसे कन्या पत्नी तथा मकर पति के बीच प्रबल शारीरिक आकर्षण विद्यमान रह सकता है । आर्थिक मामलों पर समान दृष्टिकोण इस बंधन को और पक्का कर सकता है। कन्या पत्नी इस बात को समझती है कि पति की वृत्ति दोनों के लिए सर्वोपरि महत्व की है । किन्तु कन्या पत्नी के मूड बदलते रह सकते हैं । कभी-कभी पति पर कई दिन तक निराशा की भावना छाई रहती है। पत्नी के विचार से उसे वह भावना निकाल बाहर करनी चाहिए। ऐसे में लानत मलामत से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पति की मानसिक दशा और बिगड़ सकती है। वह आत्मघाती तक हो सकता है। वह दो-चार दिन के लिए घर छोड़कर भी जा सकता है। पत्नी को इस मूड की भनक पहले ही लग सकती है और वह जड़ पकडे इससे पहले ही अपनी सांत्वना तथा प्यार से उसे बढ़ने से रोक सकती है । 

पति पत्नी के बीच विवाद का मुख्य कारण पति के मित्र हो सकते हैं, जिनसे उसकी मित्रता पैसे या पद के कारण ही होती है । पत्नी इसे पसन्द नहीं कर सकती है।

यौन भावनाएं दोनों में प्रायः समान होती हैं । यौन सम्बन्धों को उनमें से कोई अधिक महत्व नहीं देता। पति की निराशा के समय उनमें कुछ सुधार हो सकता है क्योंकि तब वह पत्नी की इच्छाओं के अनुरूप स्वयं को ढालने की स्थिति में अधिक होता है।

कन्या जातक और मकर जातिका के बीच भी प्रेम के अंकूर शीघ्र पनपने की सम्भावना रहती है । कन्या जातक पर प्रायः रूखे व्यवहार का आरोप लगाया जाता है, किन्तु मकर जातिका के प्रति ऐसा नहीं होगा। उसकी वृत्ति में वह विशेषकर भारी रुचि प्रदर्शित करेगा और उसकी सहायता भी करेगा। आर्थिक मामलों में कन्या पति तथा मकर पत्नी के बीच पूर्ण सहमति रहने की सम्भावना है क्योंकि दोनों ही भविष्य के लिए रुपया-पैसा बचाने में विश्वास करते हैं । उनका सामाजिक जीवन जटिल रहने की सम्भावना नहीं है। किसी भोज में जाने के बजाय वे घूमना और किसी खेल आदि को देखना पसन्द करेंगे। अपने घर का उनके लिए भारी महत्व है। यह सम्बन्ध काम की अपेक्षा मित्रता तथा पारस्परिक हितों पर निर्भर रहने की सम्भावना अधिक है। यौन की भूख दोनों में लगभग समान होगी और उनके यौन सम्बन्ध सीधे-सादे रहेंगे।

मकर - तुलाः-

वायु का पृथ्वी से मेल सरलता से नहीं होता । मकर जातक में खुलकर अपना प्रेम प्रदर्शित करने का स्वभाव नहीं होता जबकि तुला जातक की यह आवश्यकता है । तुला जातक आराम और भोग-विलास का जीवन पसन्द करता है। मकर जातक जीवन को गम्भीरता और दायित्व से लेता है। मितव्ययिता उसके स्वभाव का अंग है।

यदि पत्नी तुला जातिका हो और पति मकर जातक तो कुछ समय तक पत्नी को पति के व्यावसायिक अतिथियों का स्वागत-सत्कार करने में प्रसन्नता होगी। पति भी पत्नी के इस गुण से प्रसन्न होगा। लेकिन आर्थिक मतभेद उनके जीवन को कठिन बना देंगे। पति योजना बनाकर चलता है और एक-एक पैसा बचाने में विश्वास करता है, जबकि आराम का जीवन पसन्द करने वाली पत्नी को उसका यह व्यवहार काटता-सा है। उसे यह बताते देर नहीं लगेगी। इस बारे में दोनों के बीच कोई समझौता नहीं हो सकता। काम के प्रति मकर जातक का दृष्टिकोण भी समस्याएं पैदा कर सकता है। पति का हर समय काम में व्यस्त रहना तुला पत्नी को पसन्द नहीं आएगा। उसे पति के मुंह से प्यार के बोल चाहिएं। कुछ समय वह धैर्य रख सकती है, किन्तु अन्ततः वह पति पर रूखा और भावनाहीन होने का आरोप लगाए बिना नहीं रह सकती।

उनके यौन जीवन से तनाव और बढ़ने की आशंका है। पति का दिमाग अपने धंधे की बातों में व्यस्त रहेगा और वह पत्नी का उतना ध्यान नहीं रख पाएगा। पत्नी उसे आकर्षित करने के लिए नारीगत गुणों से काम लेगी लेकिन पति उसके संकेतों को नहीं समझ पाएगा। यह बात तुला पत्नी को उससे विमुख कर सकती है।

यदि पति तुला जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो पत्नी का सामाजिक जीवन में रुचि के अभाव से घबराने की बारी पति की है। पति में रंगीलापन बना रहता है जबकि पत्नी अपनी भावनाओं को बहुत गंभीरता से लेती है । गृह-कार्यों में पत्नी की कुशलता की ओर पति का ध्यान न जाना टकराव पैदा करेगा। पति अपनी समस्याओं की उपेक्षा कर बाहरी लोगों के लिये न्याय की लड़ाई लड़ रहा होगा।

यौनाचरण में पति को मानसिक भोजन चाहिए। विविधता के लिए उसकी खोज से पत्नी में रूखापन पैदा होगा। यह मेल बुद्धिमानी का नहीं होगा।

मकर - वृश्चिकः-

वृश्चिक का स्वामी मंगल और मकर का स्वामी शनि दोनों ही हठी ग्रह हैं, इसलिए इस योग में दोनों का मार्ग सरल और आनंददायक रहने की आशा नहीं है । महत्वपूर्ण लक्ष्यों के लिए दोनों लगन और दृढ़ता से कार्य करगे । यदि उनके लक्ष्य मिलते हैं, तो गम्भीर तथा व्यावहारिक मामलों के लिए यह एक अच्छा योग है । विवाद पैदा होने पर वे जानी दुश्मन भी हो सकते हैं। दोनों में से कोई एक-दूसरे के आगे झुकने को तैयार नहीं होगा और उनके गम्भीर मतभेद आसानी से नहीं सुलझ पाएंगे।

मकर - धनुः-

इस योग में अग्नि और पृथ्वी के विरोधी गुण स्पष्ट रूप से सामने आते हैं। मकर जातक सावधान, परम्परावादी, समझदार, गम्भीर और यदा-कदा निराशावादी होता है । धनु जातक उत्साही, आशावादी, आवेशी और खुले दिमाग वाला होता है। दोनों राशियों के स्वामी ग्रह भी एक दूसरे के विरोधी हैं। गुरु प्रसार का प्रतीक है जबकि शनि का सम्बन्ध संकोचन और सीमाबद्धता से है। स्वतंत्रताप्रिय धनु जातक मकर जातक के दबाव को पसंद नहीं करेगा, जबकि मकर जातक के लिए धनु जातक की आंतरिक इच्छाओं, उच्च आदर्शो, असम्भव सपनों को समझना असम्भव होगा।

पत्नी धनु जातिका और पति मकर जातक होने पर ऐसा हो सकता है कि एक दिन पत्नी खाने-पीने के लिए निर्धारित किए गए पति के पैसे को अपनी पसंद का तड़क-भड़क वाली पोशाक पर खर्च कर दे। इससे पति की त्यौरियां चढ़ना स्वाभाविक है। इसी प्रकार पत्नी किसी दिन प्यार के मूड में सेंट लगाकर तथा सजधजकर पति के स्वागत के लिए तैयार हो और पति उसकी ओर देखे बिना अपना ब्रीफकेस खोलकर काम के लिए बैठ जाए। उस समय पत्नी के कुढ़न की कल्पना ही की जा सकती है। निरंतर तनाव का उनके यौन-जावन पर प्रभाव पड़ना स्वाभाविक है।

यदि पति धनु जातक है और पत्नी मकर जातिका, तो भी दोनों में निरंतर टकराव बना रहेगा। पति को हाथ में रखने के लिए पत्नी को उसे लम्बी ढील देनी होगी। धनु-पति की यौन-भूख काफी प्रबल होती है । प्रेम में निपुण होने के कारण वह पत्नी की भूख को बढ़ाने में भी सफल हो सकता है। फिर भी उसके केवल पत्नी से ही संतुष्ट रहे आने की सम्भावना बहुत कम है। इस यथार्थ को स्वीकार कर पत्नी अपनी मानसिक यातना को कुछ कम अवश्य कर सकती है।

मकर - मकर- 

पति पत्नी दोनों के ही मकर जातक होने से जीवन के प्रति उनकी फूंक-फूंक कर कदम रखने की प्रवृत्ति, परम्परावादी, यथार्थ दृष्टिकोण कई गुने बढ़ जाएंगे। दोनों जीवन को इतनी गम्भीरता से लेंगे कि उसका सारा आनंद ही जाता रहेगा। यदि दोनों के लक्ष्य समान हैं तो सफलता निश्चित है। किन्तु यदि एक ने दूसरे को अपने स्वार्थ का साधन बनाना चाहा तो इसका परिणाम कटुता और रोष में ही हो सकता है। मित्र-मंडली तथा परिचितों के लिए यह जोड़ी बहुत गम्भीर और औपचारिक रहेगी।

यह राशि निराशावादी भावना के लिए बदनाम है । यदि पति-पत्नी दोनों को ही निराशा ने एक साथ घेर लिया तो एक-दूसरे को आश्वासन तथा धैर्य बंधाने के बजाय वे और बिखर सकते हैं। लेकिन आर्थिक मामले उनकी समस्याओं में वृद्धि नहीं करेंगे।

मकर जातक की यौन-भूख प्रबल होती है। फिर भी दिलचस्पी के लिए कुछ तो हलका-फुलका होना ही चाहिए। ये दोनों अपने कामों में इतने व्यस्त रहेंगे कि इस ओर उनका बहुत कम ध्यान जा पाएगा। उनका जीवन काफी उबाऊ हैं जाएगा।

मकर - कुम्भ- 

पृथ्वी और वायु के बीच कोई तालमेल नहीं है । न मकर के स्वामी सतर्क शनि और कुम्भ के स्वामी गैर-परम्परावादी यूरेनस के बीच कोई समानता है। कुम्भ जातक निजी विचारों के बारे में स्वतंत्र तथा जिद्दी होता है। मकर जातक अपने लक्ष्यों तथा विश्वासों से चिपकने वाला होता है । मकर जातक यह बात कभी नहीं समझ पाएगा कि कुम्भ जातक कभी-कभी इतना रहस्यपूर्ण क्यों हैं

हो उठता है । उसके व्यवहार से मकर जातक की स्थायित्व तथा सुरक्षा की भावना को ठेस लगती है। कम्भ जातक परिणाम की चिन्ता किए बिना किस नए, रोमांचक परीक्षण का आनन्द उठाना चाहता है। मकर जातक के लिए यह एकदम अनावश्यक है।

दोनों में से यदि पत्नी मकर जातिका है और पति कुम्भ जातक, तो पत्नी निजी समस्याओं में व्यस्त रहना चाहेगी जबकि पति बाहरी समस्याओं में रुचि प्रदर्शित करेगा। जरूरतमंद मित्र हर समय घर में टपक सकते हैं । पति उनका आगे बढ़कर स्वागत करेगा जबकि पत्नी मौन रहकर उनकी घुसपैठ पर रोष दिखाएगी। कुम्भ पति नई-नई वृत्तियां अपनाएगा, जबकि मकर पत्नी चाहेगी कि वह एक ही स्थान पर बना रहकर ऊंचा पद प्राप्त करे। मकर पत्नी की आर्थिक सुरक्षा भावना कुम्भ पति की समझ में नहीं आ सकती। यह चिन्ता करना उसके लिए सम्भव

नहीं है।

यौन-व्यवहार में भी टकराव अनिवार्य है। पत्नी को निराशा का दौरा पड़ने पर जब प्यार चाहिए तब पति कहीं और किसी की समस्या सुलझाने में व्यस्त होता है । उसे खींचकर घर में बैठाना भी एक समस्या है। पत्नी अपने हाव-भावों से ऐसा कर पाएगी, इसका भी भरोसा नहीं किया जा सकता।

दूसरी ओर, पति मकर जातक और पत्नी कुम्भ जातिका होने पर यह भूमिका उलट जाएगी। पत्नी के पति के काम में दिलचस्पी न दिखाने पर उनके बीच तेज झड़पों को जन्म मिलेगा। पत्नी पति के अतीत-प्रेम, भावनात्मकता तथा रूमानीपन से भी चिढ़ सकती है। वह प्रगतिशील और आधुनिका है। मकर पति को दूसरे लोगों से अधिक मिलना-जुलना पसंद नहीं होता। जब वह पत्नी के मित्रों को देर रात तक घर में बैठे देखता है तो कड़ी आपत्ति करता है । वह पत्नी से छिपा कर धन बचाने का प्रयास करेगा और पत्नी उस पर कंजूसी का आरोप लगाएगी। तब पति का क्रोध उबाल खा सकता है।

यौन की भूख दोनों में से किसी में प्रबल नहीं होती। वे अपनी बाहर की ही दिलचस्पियों में व्यस्त रहते हैं । अतः यौन के आनंद का उनके जीवन में विशष महत्व नहीं होता और न किसी को इसकी अधिक चिन्ता होती।

मकर - मीन- 

पानी का पृथ्वी से तालमेल है। इन दो राशियों के जातको में भारी अंतर होते हुए भी वे एक-दूसरे के पूरक हैं। मीन जातक को सुरक्षा चाहिए जो उसे मकर जातक से मिल सकती है। मीन जातक अत्यधिक सक शील, भावनात्मक, रूमानी और भावुक होता है । वह मकर जातक की।

चपड़ी बातों में आ सकता है। मकर जातक की महत्वाकांक्षाओं को भी मीन जातक से कोई खतरा नहीं दिखाई देता । मकर जातक की प्रबंध-कुशलता और व्यवहारबुद्धि से संवेदनशील मीन जातक को जीवन के कुछ कठोर यथार्थों मे नचत मिलेगी।

फिर भी मीन पति कभी अपने मूड में मकर पत्नी के उस पर हावी होने के प्रयासों के विरुद्ध विद्रोह का झंडा उठा सकता है। इस स्थिति में उसके मन का गुप्त पक्ष सामने आने लगेगा। वह कई-कई दिन के लिए मौन-व्रत धारण कर लेगा। मकर पत्नी लाख प्रयास करने पर भी अलगाव की इस दीवार को नहीं तोड़ पाएगी। आर्थिक मामलों में पत्नी को पहल अपने हाथों में लेनी होगी, क्योंकि मीन पति निर्णयों से अथवा जीवन के अरुचिकर पक्ष से परेशान होना पसंद नहीं करेगा।

उनके यौन सम्बन्ध गहरे रहने की सम्भावना है यद्यपि इसमें भी मूड आड़े आ सकते हैं । मीन पति अपनी समस्याओं से ध्यान हटा सकता है जबकि मकर पत्नी नहीं हटा सकती और पति को पत्नी का रूखापन अख र सकता है। लेकिन नैराश्यभावना से मुक्त होने पर वे खुलकर एक-दूसरे को प्यार कर सकेंगे । वस्तुतः उनके सम्बन्ध अत्यंत जटिल रहेंगे।

इससे उलट होने पर, अर्थात् जब पति मकर जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पति के लिए पत्नी के अनिर्णय वाले और क्षण-क्षण बदलते स्वभाव को समझ पाना कठिन होगा। मूड बदलने के साथ-साथ पत्नी की इच्छाएं भी बदलेंगी। विशेषकर यौन-व्यवहार में पत्नी जब भावुक हो रही हो, पति अपनी पाशविक प्रवृत्तियों का प्रदर्शन कर सकता है। पति के व्यवहार से पत्नी में रोष और निराशा पैदा हो सकती है।


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