Tuesday, 19 May 2020

gyarahve bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal/ ग्यारहवे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल

Posted by Dr.Nishant Pareek

gyarahve bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal 

ग्यारहवे भाव में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल 


  शुभ फल : ग्यारहवें भाव मे शुक्र अत्यन्त शुभ फल देता है। लाभभाव में शुक्र होने से जातक का शरीर नीरोग, तथा स्वरूप अत्यन्त देदीप्यमान, आकर्षक होता है। जातक गुणवान्-अच्छे स्वभाव का, अत्यन्त सुशील, परोपकारी, उदार, सदाचारसम्पन्न होता है। जातक उत्तम गुणों से युक्त, हास्यप्रिय, सत्यभाषण करनेवाला होता है। भृगु पुत्र शुक्र लाभभव में होने से जातक की रुचि गायन विद्या, नृत्य आदि कलाओं में होती है। जातक संगीत और नृत्य का आदर करनेवाला होता है। जातक के घर मे संगीत का वातावरण रहता है। जातक की चितवृत्ति सदा शुभकर्मों की ओर लगी रहती है, तथा आचरण शास्त्रानुकूल, धार्मिक होता है। जातक ज्ञानवान् होने से ईश्वरभक्त होता है। सभा में वचनचातुरी से कीर्तियुक्त होता है। किसी प्रकार का शोक नहीं होता है। उसकी इच्छायें पूरी होती हैं।

 एकादश भाव में स्थित शुक्र के प्रभाव से सभी प्रकार की समृद्धि और सम्पन्नता रहती है। प्रतिदिन धनागम होता रहता है, अर्थात् जातक की धनवृद्धि प्रतिदिन दिन-दूनी रात-चौगुनी होती रहती है। सर्वविधि भोग भोगने वाला, ऐश्वर्यवान्, प्रभुत्व सामर्थ्यवान् राजा के समान सामर्थ्ययुक्त, एक प्रकार से राजा ही होता है। ग्यारहवें भाव में शुक्र होने से विलासी, वाहनसुखी, स्थिरलक्ष्मीवान्, लोकप्रिय, जौहरी, धनवान् होता है। एकादश भाव में स्थित शुक्र से व्यक्ति व्यापार से लाभ कमाता है। राजकीय व्यक्तियों से लाभ होने की अधिक संभावना रहती है। स्त्रियों के सम्बन्ध से, घूमने-फिरने के व्यवसाय से मोती-चाँदी आदि के व्यापार से काफी धन मिलता है। एकादशस्थान का शुक्र शुभ होता है। अत: प्रत्येक ग्रन्थकार ने अच्छा फल लेखनीविद्ध किया है। गाँव या शहर के सम्बन्ध से और इमारतें बनवाने के कामों से धन का लाभ होता है। 

एकादशभाव का शुक्र अच्छे मित्रों की मदद से प्रगति करता है। विख्याति और यश देने वाले काम करने की योग्यता प्राप्त होती है। विवाह से भी धनलाभ होता है। स्त्रियों के आश्रय से भग्योदय होता है। मित्रों के परिवारों से विवाह सम्बन्ध होते हैं। जातक रत्नरूपा उत्तम स्त्री तथा रत्नों से युक्त होता है। लाभभाव में शुक्र के होने से जातक को स्त्रियों का सुख विपुलमात्रा में मिलता है। जातक को बहुत प्रकार के वाहन, घोड़ा-हाथी-गाड़ी-स्कूटर मोटर आदि प्राप्त होता है। वह नौकरों से युक्त होता है। जातक के दास और भृत्य आज्ञा के अधीन चलने वाले होते हैं। पुत्र एवं पुत्रियों का सुख होता है। शत्रुगण सतत भयभीत रहते है। आसमुद्रान्त निर्मलकीर्ति निरन्तर प्राप्त होती है। बुध से शुभयोग होने से चालाक लोगों से अच्छा लाभ होता है।
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
अशुभ फल : यदि जातक का जन्म नीच वर्ग का हो तो भाग्योदय 22 वर्ष से सम्भावित होता है। यदि जातक उच्चवर्ग से हो तो भाग्योदय की सम्भावना 32 वें वर्ष से होती है। जातक को सदैव मानसिक चिन्ताएँ लगी रहती है। परस्त्री रतिलोल्लुप, परांगना में आसक्त होता है। एकादशस्थ शुक्र यदि पुरुषराशि में होता है तो पुत्र संख्या में कम और कन्याएँ अधिक होती है। यदि यह शुक्र मेष, सिंह, तथा धनु में हो तो पुत्र नहीं होते वा होकर मर जाते हैं। बड़े भ्राता का खर्च उठाना पड़ता है। धन प्राप्ति भी बहुत, और खर्च भी बहुत होता है। व्यापार हो वा नौकरी, व्यवस्थित रहते हैं।

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