Auspicious Results :
The person is valiant, a skilled businessman, recognized by the state, honored, wealthy, liberal, recognized and the minister of the state. One will be fortunate, well mannered, determined, scholarly, famous and talented. One will earn one’s living through business or trade. One will be endowed with jewels, ornaments and vehicles. One will be blessed with a father and enjoys his bliss completely. If in government service, then one will be the head of one’s department or office. One will gain through government contacts. Due to hard work, one successfully completes one’s work, is favored by the king and attains fame. One will encourage people to perform pious deeds. One will be blessed by sons. One will be successful at everything, which one takes up in one’s hands. One will favor saintly and good people. One attains fame because one is a complete scholar.
शुभ फल :
दशम स्थान में सूर्य होने से जातक प्रतापी, व्यवसाय कुशल, राजमान्य, लब्ध-प्रतिष्ठ, राजमन्त्री, उदार, ऐश्वर्यसम्पन्न, लोकमान्य एवं सुखी होता है। जातक का आचरण शुद्ध, दृढ़चित्त, विद्वान्, यशस्वी, तथा बहुगुणी होता है। जातक भाग्यवान् होता है। व्यापार व्यवसाय से अथवा स्वतंत्र रूप से अपनी जीविका का अर्जन करता है। जातक सर्वथा श्रेष्ठ मणियों तथा आभूषणों, वाहनादि से सम्पन्न होता है। जातक को पिता का पूरा सुख मिलता है। जातक राज्य सेवा में है तो अपने विभाग का या कार्यालय का प्रमुख हुआ करता है। जातक राज्य संपर्क से लाभ प्राप्त करता है। परिश्रम से सहसा कार्यसिद्धि, राजा की कृपा तथा अतुलकीर्ति का लाभ होता है। जातक शुभकर्मों की ओर प्रेरित करनेवाली बुद्धि से युक्त होता है। पुत्रों का सुख प्राप्त होता है। जिस काम को हाथ में लेता है उसमें सफलता मिलती है। जातक साधुस्वभाव सज्जनों पर उपकार करता है। पूर्ण विद्वान् होने के कारण प्रसिद्धि पाता है।
Inauspicious Results :
One may be unenlightened. One may have scanty and bad hair. One may have a bad character. One’s spouse will have a lively temperament. One might be separated from one’s brothers and relatives. Mother may have atroublesome time and may suffer from many types of ailments. The mind may feel guilty on account of separation from friends, spouse and dear ones. Just as the Sun gradually becomes stronger and after reaching its peak at noon gradually starts losing brightness after mid day, similarly, one will gradually rise, attain the peak of one’s achievements and then may ultimately have a difficult old age, due to ailments and shortage of money. One may have conflicts with friends. Enmity with the son and the spouse and other painful experiences will be felt. It will cause hurdles. One’s behaviour is not ethical and one may perform ill deeds.
अशुभ फल :
जातक तेजस्वी नहीं होता है। जातक के केश अच्छे नहीं होते हैं। जातक का आचरण अच्छा नहीं होता है। स्त्री चंचल स्वभाव की होती है। दशम भाव का सूर्य व्यक्ति को भाई-बांधवों से वियुक्त करता है। मां को पीड़ा पहुंचाता है। माता को कई प्रकार के रोग होते हैं इससे इसे कष्ट होता है। मित्र-स्त्री-आदि प्रियजनों से वियोग होता है। इसलिए चित में ग्लानि रहती है। जैसे सूर्य शनै:-शनै: तीक्ष्ण किरण तथा अत्यन्त तेजस्वी होकर मध्यादृन के अनन्तर पतनोन्मुख होता हुआ सन्ध्या समय तेजोहीन होकर अस्त हो जाता है। इसी प्रकार सूर्य के प्रभाव में उत्पन्न जातक भी शनै:-शनै: वृद्धिक्रम से उन्नति पाते हुए शिखर चुम्बी उन्नति करते हैं परनतु अन्तिम वय अच्छा नहीं रहता, अन्त में रोगग्रस्त होते हैं-धनाल्पता से कष्ट पाते हैं। बान्धवों से कलह स्त्री-पुत्रादि से वैमनस्य आदि दु:ख अनुभव में आते हैं। दशम भाव का सूर्य पापीग्रह की राशि में अथवा पापग्रह के साथ युति में अथवा किसी पापग्रह की दृष्टि होने से जातक के कामों में अड़चनें आती हैं। जातक का आचार-विचार शुद्ध तथा पवित्र नहीं होता है। पापी तथा दुष्टकर्म कर्ता होता है।