Auspicious Results :
One will not
be very tall or very short .One’s stomach and body will be equal in length. One
will be dark complexioned with yellow hair and dark eyes. One will be humorous
and good-natured. The person will be endowed with a spouse because Sun in the
seventh maintains domestic bliss. One’s spouse will be beautiful, impressive,
well behaved, will support her husband in adversity and will be hospitable,will
be sympathetic and skilled at getting work done through servants. One’s spouse will
be fond of money and may keep her control over money. The native may consider
one’s spouse to be everything and may even merge one’s own personality with the
other. One will have the pleasure and bliss of one’s spouse.
शुभ फल :
जातक न
तो बहुत लम्बा होता है और नहीं छोटा होता है। उदर और देह एक बराबर होते हैं। इसका
रूपरंग और आँखें कपिल होती हैं। इसके केश पीले होते हैं। विनोदी अर्थात् मज़ाकिया
स्वभाव का होता है। स्त्री सुख का होना सप्तमभावस्थ सूर्य का शुभफल है। सूर्य
पतिपत्नी का सौमनस्य कायम रखता है। सप्तम रवि प्रभाव में आए हुए जातक की स्त्री
सुन्दर, प्रभावशलिनी,
व्यवहार और बर्ताव में
अच्छी आपत्ति के समय पति का साथ देनेवाली, अतिथि सत्कार करनेवाली, दयालु तथा नौकरों से अच्छा काम निकाल लेने वाली
होती है। पत्नी धन-प्रिया होती है और रुपए पैसे पर अपना स्वत्व रखनेवाली होती है।
जातक के लिए स्त्री ही सर्वस्व होती है वह अपने अस्तित्व को खो बैठता है और स्त्री
में अपना विलय कर देता है। जातक को स्त्री का भोग-उपभोग मिलता है।
Inauspicious Results :
One may be unattractive.
One may be very short tempered and wicked and will have an unstable
temperament. One is unable to sleep peacefully due to the fear of people. If
Sun is in the seventh house, one will be troubled by people related to the
government or due to one’s spouse. One may favor wicked persons. One may not
get enough happiness from one’s son. One will be troubled by mental and
physical worries. One may be troubled by venereal diseases. One may be unhappy.
One is deprived of wealth and is poor. In one’s 25th year, one may travel
abroad. One’s business may suffer. Inspite of all of one’s efforts, one may be
unable to earn wealth. One has to walk because one may lack a vehicle. There
may be a lack of marital bliss and constant conflicts between husband and spouse
may be there. One may be enmical towards the opposite sex and may get
disrespect and dishonor from them. One’s spouse may be tainted, ailing,
quarrelsome, egoistic, harsh natured and will consider her own opinion to be
the best. One is deprived of happiness from one's spouse. Marriage may be
delayed. One may oppose one’s spouse and have conflicts with her. One may have
two spouses. Either one remarries on the expiry of the first or has two spouses
simultaneously. Due to enmity with one’s own spouse, one may have illicit
relations with the opposite sex. The
above inauspicious interpretations might be experienced in full due to some
planetary conditions in the horoscope.
One may have many spouses.
There may be many children.
अशुभ फल :
शरीर से दर्शनीय नहीं होता है। अत्यन्त क्रोधी और खल अर्थात् दुर्जन होता
है। अस्थिर स्वभाव का होता है। मन में सर्वदा लोगों का डाह रहने से सुख से नीद भी
नहीं आती है। सातवें स्थान मे सूर्य होने से जातक स्त्री तथा राजकुल के व्यक्तियों
से पीडि़त रहता है। जातक के प्रेमपात्र दुष्ट लोग होते हैं। जातक को पुत्रसुख थोड़ा
मिलता है। जातक शारीरिक और मानसिक व्याधियों से ग्रस्त रहता है। गुप्तरोगों से
दु:खी रहता है-अर्थात् इसे उपदेश, प्रमेह आदि रोग होते हैं। जातक सुखी नहीं होता है। सप्तमभाव में सूर्य होने से
जातक, लक्ष्मी से वंचित
रहता है, अर्थात् निर्धन
होता है। 25 वें वर्ष परदेशगमन
होता है। व्यापार में हानि होती है। धन कमाने का यत्न करे तो भी प्रचुरमात्रा में
धनप्राप्त नहीं होता है। पैदल चलता है क्योंकि इसे सवारी का सुख नहीं होता है।
सप्तमभाव में सूर्य दाम्पत्य सुख का वाधक है, पतिपत्नी में अनवन रहती है। स्त्रियों से
वैमनस्य रहता है, स्त्रियों से
तिरस्कार और अनादर प्राप्त होता है। जातक की पत्नी मलिन, रोगिणी, क्लेश कारक, स्वाभिमानी, कठोर स्वभाव, आत्मरत प्रचण्ड और अपनी ही बात को सर्वोपरि
मानने की प्रकृति वाली होती है। जातक स्त्रीसुख हीन होता है। सप्तमभाव का सूर्य
होने से जातक का विवाह देर से होता है। जातक स्त्री से विरोध रखता है अर्थात्
पतिपत्नी का सौमनस्य नहीं रहता है। यह दो स्त्रियों का पति होता है अर्थात् प्रथमा
स्त्री के मृत्यु से द्वितीया घर में लाई जाती है, अथवा प्रथमा के जीवित रहते ही दूसरी स्त्री का
प्रवेश होता है। अपनी स्त्री से वैमनस्य होने से पराकीया स्त्रियों में आसक्त रहता
है। उपर दिये अशुभफल रवि के मेष,
सिंह, मकर राशियों में होने के कारण अधिक अनुभव में
आते हैं। सूर्य शत्रुग्रह या
नीचराशिगतग्रह से द्दष्ट हो अथवा किसी पापग्रह से दृष्ट होने से जातक की बहुत स्त्रियाँ
होती हैं।