सबसे पहले तो ये बताता हूँ कि श्राद्ध कब कब करना चाहिए। अर्थात पूरे वर्ष में कब कब श्राद्ध करना चाहिए।
वर्ष में श्राध्द कब करें -
धर्म सिंधु के अनुसार हमारे पूर्वजों के लिए श्राद्ध अमावस को , मासिक संक्रांति में, युगादि तिथियों में , किसी महातीर्थ पर , व्यतिपात योग में , मृतक की दाग तिथि के दिन , सूर्य चंद्र ग्रहण में , आपकी जब भी श्राद्ध करने की इच्छा जागे , कभी श्रोत्रिय आदि ब्राह्मण आपके घर आये, कोई दुर्लभ योग के समय , ग्रह पीड़ा हो तो , बुरा सपना देखा हो तो , नया धान प्राप्त किया हो , नया कुआँ या बोरिंग या तालाब बनवाया हो , घर की छत डलवाई हो , ऐसे समय में अवश्य श्राद्ध करना चाहिए। इससे पितृ पुष्ट होकर प्रसन्न होते है। और हमें आशीर्वाद देते है।
दिन के किस समय में श्राद्ध करें -
सूर्योदय से लेकर सूर्य अस्त तक दिन के पांच भाग करें। इनमें पहला भाग प्रातः काल , दूसरा भाग सङ्गव काल , तीसरा भाग मध्यान्ह काल , चौथा भाग अपराह्न काल , और पांचवा भाग सायंकाल होता है। इनमें अपराह्न काल में श्राद्ध सम्पन्न करना चाहिए।
श्राद्ध में ब्राह्मण कैसा हो -
श्राद्ध करवाने या श्राद्ध में भोजन करने हेतु कैसे ब्राह्मण को बुलाने का विधान शास्त्रों में बताया है। उसका विवरण देता हूँ। जो ब्राह्मण जातकर्म आदि संस्कारों से सम्पन्न हो , सच बोलता हो , पवित्र हो , वेद पढ़ता हो , अध्ययन , अध्यापन , यजन , याजन , दान , और प्रतिग्रह से युक्त हो , जिसके पिता , दादा , और परदादा. समाज में अच्छा नाम रखते हो , ऐसा ब्राह्मण श्राद्ध में शुभ होता है।
इसके अलावा ब्राह्मण का दूसरा विकल्प दादी , मामा , भान्जा , दोहिता , जमाई , गुरु ,शिष्य, यजमान , ससुर , ऋग्वेदी, साला , भुआ का लड़का , मौसी का लड़का , मामा का लड़का , अतिथि , अपने गोत्र वाला , और मित्र , ये भी श्राद्ध में ब्राह्मण के स्थान पर भोजन कर सकते है। यदि दोहिता , जमाई और भांजा , ये गुणी और विद्यावान हो और इनको श्राद्ध में नहीं बुलाया जाये तो दोष लगता है। यदि ये तीनों गुण हीन हो तो दोष नहीं लगता।
श्राद्ध में काम आने वाले शुद्ध पदार्थ -
जौ , तिल , उड़द , गेहूं , शामक , कंगन , मूंग , सरसों , परवल , आंवला , बेर , खजूर , इमली ,अदरक , सोंठ , सफ़ेद मूली ,दाख , लोंग , इलायची , तेजपत्ता , जीरा, हींग , अनार , खांड , गुड़ ,कपूर , सेंधा नमक , समुद्री नमक , सुपारी , नागर पान, गाय का दूध और दही , घी ,भैंस का घी ,ये उत्तम पदार्थ है।
श्राध्द में वर्जित पदार्थ -
पतित और मलेच्छ से प्राप्त पदार्थ , अन्याय से प्राप्त , कन्या को बेचकर आया धन ,मांग कर लाया हुआ धन , अरहर , कुल्थी , मसूर , कोदू , रानी सरसो, लांक मटर , सहजन , कोला ,दोनों तुम्बी , करोंदा, आलि मिर्च , लाल मूली , करड , बांस की कोपल , दस तरह के लहसुन , प्याज , कृत्रिम नमक , लाल बेल फल , सफ़ेद और काले बेंगन , गाजर , लेसवा , लाल गोंद ,बिलाव का सुंघा हुआ , ये पदार्थ श्राद्ध में उपयोग नहीं लेने चाहिए।
अगले लेख में जानिए श्राद्ध वाले दिन करने और न करने वाले कार्य।
वर्ष में श्राध्द कब करें -
धर्म सिंधु के अनुसार हमारे पूर्वजों के लिए श्राद्ध अमावस को , मासिक संक्रांति में, युगादि तिथियों में , किसी महातीर्थ पर , व्यतिपात योग में , मृतक की दाग तिथि के दिन , सूर्य चंद्र ग्रहण में , आपकी जब भी श्राद्ध करने की इच्छा जागे , कभी श्रोत्रिय आदि ब्राह्मण आपके घर आये, कोई दुर्लभ योग के समय , ग्रह पीड़ा हो तो , बुरा सपना देखा हो तो , नया धान प्राप्त किया हो , नया कुआँ या बोरिंग या तालाब बनवाया हो , घर की छत डलवाई हो , ऐसे समय में अवश्य श्राद्ध करना चाहिए। इससे पितृ पुष्ट होकर प्रसन्न होते है। और हमें आशीर्वाद देते है।
दिन के किस समय में श्राद्ध करें -
सूर्योदय से लेकर सूर्य अस्त तक दिन के पांच भाग करें। इनमें पहला भाग प्रातः काल , दूसरा भाग सङ्गव काल , तीसरा भाग मध्यान्ह काल , चौथा भाग अपराह्न काल , और पांचवा भाग सायंकाल होता है। इनमें अपराह्न काल में श्राद्ध सम्पन्न करना चाहिए।
श्राद्ध में ब्राह्मण कैसा हो -
श्राद्ध करवाने या श्राद्ध में भोजन करने हेतु कैसे ब्राह्मण को बुलाने का विधान शास्त्रों में बताया है। उसका विवरण देता हूँ। जो ब्राह्मण जातकर्म आदि संस्कारों से सम्पन्न हो , सच बोलता हो , पवित्र हो , वेद पढ़ता हो , अध्ययन , अध्यापन , यजन , याजन , दान , और प्रतिग्रह से युक्त हो , जिसके पिता , दादा , और परदादा. समाज में अच्छा नाम रखते हो , ऐसा ब्राह्मण श्राद्ध में शुभ होता है।
इसके अलावा ब्राह्मण का दूसरा विकल्प दादी , मामा , भान्जा , दोहिता , जमाई , गुरु ,शिष्य, यजमान , ससुर , ऋग्वेदी, साला , भुआ का लड़का , मौसी का लड़का , मामा का लड़का , अतिथि , अपने गोत्र वाला , और मित्र , ये भी श्राद्ध में ब्राह्मण के स्थान पर भोजन कर सकते है। यदि दोहिता , जमाई और भांजा , ये गुणी और विद्यावान हो और इनको श्राद्ध में नहीं बुलाया जाये तो दोष लगता है। यदि ये तीनों गुण हीन हो तो दोष नहीं लगता।
श्राद्ध में काम आने वाले शुद्ध पदार्थ -
जौ , तिल , उड़द , गेहूं , शामक , कंगन , मूंग , सरसों , परवल , आंवला , बेर , खजूर , इमली ,अदरक , सोंठ , सफ़ेद मूली ,दाख , लोंग , इलायची , तेजपत्ता , जीरा, हींग , अनार , खांड , गुड़ ,कपूर , सेंधा नमक , समुद्री नमक , सुपारी , नागर पान, गाय का दूध और दही , घी ,भैंस का घी ,ये उत्तम पदार्थ है।
श्राध्द में वर्जित पदार्थ -
पतित और मलेच्छ से प्राप्त पदार्थ , अन्याय से प्राप्त , कन्या को बेचकर आया धन ,मांग कर लाया हुआ धन , अरहर , कुल्थी , मसूर , कोदू , रानी सरसो, लांक मटर , सहजन , कोला ,दोनों तुम्बी , करोंदा, आलि मिर्च , लाल मूली , करड , बांस की कोपल , दस तरह के लहसुन , प्याज , कृत्रिम नमक , लाल बेल फल , सफ़ेद और काले बेंगन , गाजर , लेसवा , लाल गोंद ,बिलाव का सुंघा हुआ , ये पदार्थ श्राद्ध में उपयोग नहीं लेने चाहिए।
अगले लेख में जानिए श्राद्ध वाले दिन करने और न करने वाले कार्य।