किस नक्षत्र में उत्पन्न होने पर जातक की कृति-प्रकृति कैसी रहती है।
यदि अश्विनी नक्षत्र में जन्महो तो बालक
सुन्दर रूप वाला, तथा आभुषण प्रिय होता है।
भरणी में उत्पन्न शिशु सब कार्य
करने में समर्थ तथा सत्यवक्ता होता है।
कृतिका में जन्म लेने वाला अमिताहारी,
परस्त्री में आसक्त स्थिर बुद्धि तथा प्रिय वक्ता होता है।
रोहिणी में पैदा हुआ
व्यक्ति धनवान, मृगशिरा में भागी, आर्द्रा में हिंसा करने वाला, शठ, अपराधी,
पुनर्वसु में जितेन्द्रिय, रोगी तथा सुशील, पुष्य में कवि तथा सुखी होता है।
आश्लेषा में उत्पन्न मनुष्य, धूर्त,
शठ, कृत्घ्न, नीच, खान-पान का विचार न रखने वाला होता है।
मघा में भोग, धनी तथा
देवादि का भक्त होता है।
पूर्वाफाल्गुनी में दाता तथा प्रियवक्ता होता है।
उत्तराफाल्गुनी में धनी और भोगी, हस्त में चोर स्वभाव, ढीठ और निर्लज्ज तथा
चित्रा में नाना प्रकार के वस्त्र धारण करने वाला तथा सुन्दर नैत्रों से युक्त
होता है।
स्वाती में जन्म लेने वाला मनुष्य धर्मात्मा तथा दयालु होता है।
विशाखा में लोभी, चतुर तथा क्रोधी, अनुराधा में भ्रमणशील तथा विदेशवासी, ज्येष्ठा
में धर्मात्मा तथा संतोषी तथा मूल में
धनी-मानी व सुखी होता है।
पूर्वाषाढा में मानी, सुखी तथा हृष्ट, उत्तराषाढा में
विनयी तथा धर्मात्मा, श्रवण में धनी, सुखी और लोक में विख्यात तथा धनिष्ठा में
दानी, शूरवीर और धनवान होता है।
शतभिषा में शत्रु को जीतने वाला तथा व्यसन में
आसक्त, पूर्वाभाद्रपद में स्त्री के वशीभूत तथा धनवान, उत्तराभाद्रपद में वक्ता,
सुखी और सुन्दर तथा रेवती में जन्म लेने वाला शूरवीर, धनवान तथा पवित्र हृदय
वाला होता है।