Thursday 13 July 2017

वैभव लक्ष्मी व्रत करें इस सही विधि से ,और धन भंडार भरें अपने घर में।

Posted by Dr.Nishant Pareek
हमारे भारतीय संस्कृति और समाज में वैभव लक्ष्मी व्रत का महत्व प्राचीन काल से ही विधमान है। लगभग हर घर में हर महिला इस व्रत को अवश्य करती है। क्योकि यही एक व्रत है जो सभी सांसारिक सुविधा और भोग विलास का दाता है। परन्तु देखने में आता है कि बहुत सी महिलाएं इसे गलत विधि से करती है। उसके कारण उन्हें व्रत और पूजा का पूरा फल नहीं मिलता। और इसी वजह से उनका पूजा पाठ और भगवान से मन उठ जाता है। इसमें गलती अपनी ही है , क्योकि हम कोई  गलत करेंगे तो उसका परिणाम भी गलत ही आएगा। इसलिए मैं आज आपको वैभव लक्ष्मी व्रत की सही विधि बता रहा हूँ , जिसके करने से आपकी सभी मनोकामना पूर्ण होगी।


इसे किसी भी शुक्लपक्ष के पहले शुक्रवार से आरम्भ करना है। अच्छी तरह से स्नान करके लाल वस्त्र पहनना है। इनर वियर (आंतरिक वस्त्र )भी लाल ही होने चाहिए। कोई और रंग नहीं चलेगा। थोड़ा सा सिंगार करके परफ्यूम या इत्र लगा कर अच्छे से तैयार हो जाएँ। फिर पूर्व या उत्तर में एक लकड़ी की चौकी लगाएं।  पूजा करते समय आपका मुख पूर्व या उत्तर में रहना चाहिए। चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसपर लक्ष्मी माता की तस्वीर रखें। अपने दायीं तरफ चौकी पर थोड़े चावल रखें। उस पर पानी से भरा ताम्बे का लोटा रखें। लोटे पर एक स्टील की कटोरी रखें। कटोरी में एक चांदी की अंगूठी या सिक्का रखें। और उस अँगूठी या सिक्के पर एक गुलाब का फूल रखें। माता जी को स्नान करवा कर साफ़ कपड़े से पोंछ कर गुलाब के फूल चढ़ाये। शुद्ध इत्र लगाये। गूगल धुप की बत्ती जलाये। घी का दीपक जलाएं। और किसी भी सफ़ेद वस्तु का भोग लगाएं। फिर अपनी मनोकामना का संकल्प करके कथा करें। कथा पूरी होने तक वह दीपक और धूप बत्ती जलती रहनी चाहिए। कथा पूरी होने के बाद उस लोटे के पानी को आप अपने पूरे घर में छिड़केंगे। स्नानघर और शौचालय के आलावा। गुलाब के फूल को अपनी तिजोरी में या जहाँ भी आप पैसे रखते है वहाँ रखेंगे। चांदी की वस्तु पहनने की हो तो पहन लें और रखने की हो तो तिजोरी में रखें। फिर भोजन में आपको वो भोग ही खाना है जो आपने माताजी के लिए बनाया है। उसके आलावा और कुछ भी नहीं खाना है। अधिकतर महिलाये रोटी सब्जी खा लेती है। या दिन में फलाहार कर लेती है।  जबकि यह गलत है। इस प्रकार आपको यह व्रत सम्पन्न करना है। इसमें कुछ विशेष सावधानियाँ है जो निश्चित रूप से पूरी करनी है , वो इस प्रकार है -

विशेष सावधानी -  
  • जिस शुक्रवार से आप व्रत आरम्भ करेंगी , उसके एक रात पहले आपको संभोग नहीं करना है। ब्रह्मचर्य का पालन करना है। 
  • शुक्रवार को पूरे दिन कुछ नहीं खाना है। पानी पी सकती है। किसी पर गुस्सा नहीं करना है। किसी को भला बुरा नहीं कहना है। अच्छे विचार रखने है। 
  • शाम को पूजा के समय सिर्फ लाल कपड़े पहनने है - आंतरिक और बाहरी , दोनों। 
  • ताम्बे के लोटे के पानी को अधिकतर महिलाये तुलसी जी में डाल देती है। ऐसा करना गलत है। उस पानी को पूरे घर में छिड़कना है। स्नानघर और शौचालय के आलावा। 
  • शाम को रोटी सब्जी या कुछ नहीं खाना है। सिर्फ वही खाना है जो आपने माताजी के लिए भोग बनाया है। इसलिए आप अपनी भूख के अनुसार भोग बना सकते है।  भोग में आप दूध की खीर , बर्फी , आदि सफ़ेद वस्तु का भोग लगा सकते है। 
  • यदि आपका स्वास्थ्य इन सिद्धांतों के अनुसार व्रत करने को तैयार हो तो ही आप व्रत करें। जबरदस्ती व्रत नहीं करें। शुगर की बीमारी हो तो व्रत नहीं करें।
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