संतान कितनी होगी ?
कुंडली में संतान योग
देखने के बाद यही विचार आता है कि हमारे
कितनी संतान का योग है या कितनी संतान होगी ? इस विषय में लगभग सभी लोग उत्सुक रहते है। इस उत्सुकता का समाधान कुंडली से हो सकता
है। कुंडली में इस प्रकार के योग होते है जिनसे ज्ञात हो जाता है कि किसी भी व्यक्ति के कितनी संतान होगी। सामान्य रूप से कुंडली में पंचम भाव
पर जितने ग्रहों की दृष्टि होती है उतने ही संतान का योग होता है। इसके
अलावा ग्रहों की युति के आधार पर भी संतान
की संख्या का विचार किया जाता है. बहुत बार इस भी होता है की लोग एक संतान
या दो संतान पैदा होने के बाद नसबन्दी करवा लेते है और उसके बाद ज्योतिषी
का मजाक बनाने के लिए उससे संतान की संख्या पूछते है, उस समय होता ये है कि
व्यक्ति के योग तो तीन या चार संतान का होता है परंतु नसबन्दी करने से वह
योग निष्फल हो जाता है , उस समय ज्योतिषी की बात निष्फल होना नैसर्गिक होता
है क्योकि योग के फलित होने में यदि विज्ञान का तर्क लगाया जायेगा तो योग
निष्फल हो जायेगा :-
- यदि पंचम भाव अथवा नवम भाव में चन्द्रमा वृष राशि अथवा तुला राशि में हो तो एक पुत्र होता है.
- यदि पंचम भाव में गुरु व शुक्र हो तो अधिक संतान होने की सम्भावना होती है.
- यदि पंचम भाव में शुक्र की राशि हो अथवा नवमांश हो तथा पंचम भाव पर शुक्र की दृष्टि हो तो भी अधिक संतान का योग होता है।
- यदि पंचम भाव में सिंह राशि में सूर्य, गुरु के साथ बैठा हो तो भी पांच पुत्र होने की प्रबल सम्भावना होती है।
- यदि बुध अथवा राहु तीसरे भाव में एक साथ बैठे हो तो दो पुत्र व तीन पुत्रियों का योग होता है।
- यदि ग्यारहवें भाव में गुरु बैठा हो तो पञ्च पुत्र होने की प्रबल सम्भावना होती है।
- यदि पंचम भाव में बुध मकर राशि का बैठा हो तो तीन संतान का योग होता है।
- यदि पंचम भाव में मकर राशि का मंगल बैठा हो तो तीन संतान होने का योग होता है।