Sunday 19 February 2017

विवाह की आयु

Posted by Dr.Nishant Pareek


विवाह किस आयु में करना चाहिए , यह बहुत ही सामान्य सा परंतु महत्वपूर्ण प्रश्न है. क्योकि इस बात पर सभी के विचार अलग अलग है.  हमारे समाज में विवाह की निश्चित आयु कभी एक नहीं रही. इसलिए बाल विवाह से लेकर आज 25 से 35 या उसे अधिक उम्र में भी विवाह करने के उदाहरण मिल जाते है. सरकार द्वारा भी समय के अनुसार विवाह की आयु परिवर्तित की जाती रही है. विवाह की आयु समय तथा समाज की परंपरा के अनुसार निश्चित की जानी चाहिए. किसी समय में बाल विवाह को ठीक समझा जाता था. लेकिन आज इसे एक कुरीति माना जाता है. आज के समय में व्यक्ति को जो समय ठीक लगता है उसी में विवाह कर लेता है यहाँ हम विवाह की आयु के विषय में विचार करते है की विभिन्न आयु में विवाह करने का क्या औचित्य हुआ करता है.
बचपन में किया गया विवाह बाल विवाह कहलाता है. आज यह कुरीति माना जाता है तथा क़ानूनी अपराध भी है. इसके बाद भी कभी कभी बाल विवाह देखने को मिल जाते है. ये विवाह 2-3 वर्ष की अवस्था में भी होता है. दूल्हा भी छोटी आयु का होता है. दोनों विवाह का मतलब भी नही समझते है. मुगल काल में लड़की का जन्म होते ही उसे या तो मार दी जाती थी या उसका बाल विवाह कर दिया जाता था. उस समय मजबूरी में यह विवाह किया जाता था. मुग़ल राजा अपनी जनसँख्या बढ़ाने के लिए ज्यादा से ज्यादा बच्चे पैदा करते थे. कुछ लोग मुगलों से अपनी बहन बेटी को बचाने के लिए भी उसका बाल विवाह करके उसकी सुरक्षा से मुक्त हो जाते थे. इस तरीके को सम्पूर्ण भारत में अपनाया जाने लगा. यह कुरीति मुगलों के बाद ब्रिटिश शासन में भी चलती रही. बाद में बाल विवाह के दुष्परिणामों को देख कर इन पर क़ानूनी रोक लगा दी गई. आज क़ानूनी रूप से तो बाल विवाह बंद है, परंतु फिर भी बहुत संख्या में बाल विवाह होते रहते है. कानून बनने के बाद विवाह की क़ानूनी आयु लड़की के लिए 16 तथा लड़के के लिए 18 वर्ष की आयु निश्चित की गई. कही पर इसे लड़की की 18 तथा लड़के की 21 वर्ष आयु को उचित माना गया. दोनों की उम्र में 2-3 साल का अंतर तो हमेशा देखा भी गया है. यह उम्र विवाह हेतु तर्कसंगत भी है. प्राचीन काल में ऋषि मुनि बालक को 25 वर्ष की आयु के बाद ही गृहस्थाश्रम में प्रवेश की आज्ञा दी जाती थी. कालांतर में 16 व 18 एवं इसके बाद 18 व 21 वर्ष की आयु को विवाह के लिए उचित माना गया. समय के साथ जो परिवर्तन आया वो परिस्थति के कारण ही आया होगा. विवाह के बाद पुरुष को परिवार चलाने का दायित्व निभाना पड़ता है. इसलिए ही उसकी आयु को लड़की की आयु से अधिक रखा गया है. लड़की की ये आयु भी गर्भधारण हेतु उचित मानी गई है. शरीर विज्ञानियों के अनुसार ये आयउ प्रजनन हेतु उत्तम है. आगे बड़ी उम्र में संतान उत्पत्ति में परेशानी आती है.
बेटा हो या बेटी, विवाह की आयु होने पर ही विवाह का प्रयास करें. प्रत्येक चीज की उपयोगिता उसके समय पर सिध्द होती है. समय पर विवाह करने पर योग्य जीवनसाथी प्राप्त होता है. अच्छा जीवनसाथी मिलने से दाम्पत्य जीवन में किसी तरह की समस्या नही आती और जीवन सुखद व आनंददायक होता है.
अधिक आयु होने पर कभी भी अच्छा जीवनसाथी नही मिलता. जब उम्र अधिक हो जाती है तो बाल भी पकने लग जाते है. तब किया हुआ विवाह ख़ुशी से नही होता अपितु समझौता होता है. मन को मार कर कर विवाह किया जाता है. अधिक उम्र में इसी बात पर जोर दिया जाता है कि किसी तरह से विवाह हो जाये। इस परिस्थिति में अधिकतर सम्बन्ध सामान्य नही रह पाते. अक्सर उनमे तनाव बना रहता है. अब न तो अलग हो सकते है और न ही आनंद से रह सकते है.
किसी मजबूरी में भी बाल विवाह नही करें. यह पाप और अपराध दोनों है. क्योकि बालपन में लड़के लड़की का तन और मन विवाह योग्य नही होता। उस समय उनका विवाह करने पर वो बंधन में तो बंध जाते है. परंतु विवाहित जीवन का महत्व न समझने के कारण उसे अच्छे से निर्वाह नहीं कर पाते।
        विवाह संबंध तय करते समय यह देख लेना चाहिए कि लड़के लड़की की उम्र में 3-4 वर्ष से अधिक का अंतर नही होना चाहिए , यदि अंतर अधिक होता है तो विचार नही मिलते है. और आजकल सम्बन्ध टूटने का यही सबसे बड़ा कारण है की हमारे विचार नही मिलते इसलिए हम साथ नही रह सकते. यदि साथ भी रहते है तो भी अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ता है.
लड़की का विवाह ३० वर्ष की आयु तक हो जाना चाहिए।  इससे अधिक उम्र में विवाह होने पर अनेक समस्याओ का सामना करना पड़ता है. इसमें सर्वप्रथम उत्तम वर की प्राप्ति नही होती, कई बार मन मार कर अधिक आयु अथवा सामान्य रूप रंग वाले लड़के से विवाह करके समझौता करना पड़ता है. जब मन मिले बिना शादी होती है तो दाम्पत्य सुख में बाधा अवश्य आती है. संतान उत्पत्ति में भी अनेक परेशानियां आती है. बहुत इलाज और दवाओं से संतान की प्राप्ति होती है, इनसब समस्याओं से बचने के लिए सही उम्र में शादी करनी चाहिए।
 

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