Chothe bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal
चौथे भाव में
केतुु का शुभ अशुभ सामान्य फल
अशुभ फल : चौथे भाव का केतु अनिष्ट फल
देता है। जातक चंचल, वाचाल, कार्यहीन, निरुत्साही
एवं निरुपयोगी होता है। दुर्बल, पित्तप्रकृति
और वितंडावादी होता है। चतुर्थभाव में केतु होने से जातक दूसरों की निन्दा करता
है। दूसरों की आलोचना बहुत करता है। अत: लोग जातक को कुत्सितवृत्ति का मानव समझते
हैं। माता से सुख नहीं होता है। माता रोगी रहती है। सौतेली माँ से कष्ट होता है।
केतु चतुर्थभाव में होने से माता की मृत्यु हो सकती है। मित्रों से कभी सुख नहीं
होता है। जातक के पिता का धन नष्ट होता है। मित्र वर्गों के द्वारा ही पैतृक धन का
नाश होता है। पैतृक सम्पत्ति का नाश करके जातक धन कमाने की इच्छा से देश विदेश में
ठोकरें खाता फिरता है, मित्र
भी मुख मोड़ लेते हैं। आर्थिक विपन्नता जातक का दामन नहीं छोड़ती है। विषबाधा का
भय रहता है। जातक अपने घर में बहुत रहता नहीं है। यदि रहे तो चित्त में घबराहट
होती है एवं घर में कलह होता है। जातक दूसरे के घर में रहता है। जातक की अपनी भूमि, खेत, आदि
नष्ट हो जाते हैं।