Monday, 4 January 2021

Singh rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge, / सिंह राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख में

Posted by Dr.Nishant Pareek

Singh rashi ke anya rashi walo se vivah sambandh kaise rahenge


 सिंह राशि के अन्य राशि वालों से विवाह संबंध कैसे रहेंगे, जानिये इस लेख मेंः-

सिंह-मेष:-

यदि दोनों में से कोई भी एक दूसरे पर हावी होने का प्रयास न करे तो अग्नि और अग्नि का यह मेल काफी उत्साहवर्धक हो सकता है। सिंह जातक मेष जातक की गतिशीलता और पहल को सराहेगा तथा मेष जातक सिंह जातक के लंबे चैडे विचारों, सत्ता और उदारता, के रौब में नहीं आयेगा। दोनों राशियां बहिर्मुखी और जीवन से पूर्ण है। अतः संबंध बहुत धूम धडाके वाला रहेगा। 

मेेष पति अपने आत्मविश्वासी और संघर्षशील स्वभाव से सिंह पत्नी के मन में भारी आकर्षण और सम्मान पैदा कर सकता है। चिंता उसे पति के क्रोधी स्वभाव से हो सकती है। दोनों अपने अपने अहम में डूबे रहते है। पत्नी चाहती है कि पति सदा उसकी प्रशंसा करे। और पति चाहता है कि उसके व्यवसाय में पत्नी उसे प्रात्साहित करती रहे। जब उनके अहम् को चोट लगती है तो वे उग्र हो उठते है। फिर उनमें नाटकिय झगडे शुरू हो जाते है। उनसे बचने के लिये पत्नी को कभी कभी पति को विजयी होने का अहसास करा देना चाहिये। दोनों ही संघर्ष को पसंद करते है। अतः उनके जीवन में वाद विवाद की प्रमुख भूमिका होती है। पति को पत्नी की महत्वकांक्षा पर कोई आपत्ति नहीं होती। बस, वह यही चाहता है कि पत्नी की महत्वकांक्षा उससे या उसकी महत्वकांक्षा से आगे नहीं बढ पाये। दोनों ही पूरी सुख सुविधाऐं पसंद करते है। अतः आर्थिक समस्याएं पैदा होने पर उनके जीवन को बहुत कठिन बना सकती है। 

डनके स्वभाव की उग्रता उनके यौन संबंधों पर भी प्रभाव डालती है। अतः अपने पे्रम को जीवित रखने के लिये उन्हें काफी समझदारी से काम लेना चाहिये। 

यदि पत्नी मेष जातिका है और पति सिंह जातक हो तो भी दोनों के संबंध धूमधडाके वाले ही होंगे। कठिनाई पति की इस भावना से होगी कि उसकी निरंतर प्रशंसा की जाये और उसे घर का स्वामी समझा जाये। मेष पत्नी अधिक प्रदर्शन में विश्वास नहीं करती। उसे चापलूसी से प्रेम भी पसंद नहीं होता। विशेषकर जब पति की चापलूसी करने वाली कोई अन्य सुंदर महिला हो। अतः ऐसी समझदार मेष पत्नियां स्वयं यह भूमिका निभाकर अपने पति को वश में कर सकती है। इसके बदले में पति पत्नी की बेचैनी को और उसकी मानसिक भूख को चतुराई से शांत करता है। यौन संबंधों में पति पत्नी खूब खुलेपन का परिचय देते है। 


सिंह-वृष- 

दो इतनी दृढ इच्छा शक्ति वाली राशियों में पृथ्वी तत्व का अग्नि तत्व से मेल टकराव और विरोध पैदा कर सकता है। सिंह जातक चाहता है कि उस पर पूरा ध्यान दिया जाये। वृष में में यह गुण विद्यमान है। वृष जातक प्रायः सिंह के दबदबे को सहन करता है और फिर एक दिन उलट कर वार कर सकता है। सिंह के के लम्बे चैडे विचार परंपरावादी वृष को हैरान कर सकते है। सामान्यतः यह एक बेमेले जोडी है। यह संबंध आमतौर से अन्धाकर्षण से शुरू होता है, जो अधिक आगे तक शायद ही बढ पाता है। 

सिंह जातक में ऐसे अनेक गुण होते है जो वृष जातिका को आकर्षित किये बिना और पे्रमजाल में फंसाए बिना नहीं रहते। जैसे उसकी शक्ति, सौहार्दता, उदारता। सिंह जातक वृष जातिका की सुरूचि तथा सहज वित्तीय योग्यता से प्रभावित होता है। उसकी वाक्पटुता से आकर्षित हो वह उसकी कमियों को नहीं देख पाता। फिर एक दिन वृष जातिका ऐसा महसूस कर सकती है कि उसका सिंह पति उस पर भारी पड रहा है। इससे उसमें उपेक्षा की भावना उत्पन्न होने लगती है और उसकी विरोधी स्वभाव वाली नारी जाग जाती है। पति उसको सभी सांसारिक सुख सुविधाएं प्रदान करता है, लेकिन इससे पत्नी भी भावनात्मक भूख नहीं मिटती है। यह भूख उनके यौन जीवन में प्रवेश कर जाती है। पति को लगता है कि पत्नी ने उसके विरूद्ध असहयोग की लडाई छेड दी है। यह स्थिति न आ जाये कि इसके लिये पति पत्नी को अपनी मौज मस्ती को कायम रखना होगा। 

यदि पत्नी सिंह है और पति वृष है तो इससे अधिक जिददी लोगों की जोडी मिलना असंभव है। यह संबंध तभी बनाना चाहिये, जब दोनों एक दूसरे को बदलने का प्रयास न करने का निश्चय ले। निजी रायों के बारे में दोनों की जिद उनके सुखी जीवन में सबसे बडी बाधा होगी। पति कर्जे के नाम से ही घबरायेगा और पत्नी का हाथ इतना खुला होगा कि यदि उस पर अंकुश न लगा हो तो पति को क्रोधी रूप देखने को मिलेगा। लेकिन मेहमानों के सत्कार में दोनों की रूचि रहेगी। वृष पति में यौन की बलवती इच्छा रहेगी, लेकिन पत्नी की यौन की भूख भी कम नहीं होगी, अतः इस संबंध में समस्याएं पैदा होने की संभावना नहीं है। उनका यौन जीवन बिना किसी लाग लपेट वाला होगा और अत्यंत संतोषजनक भी हो सकता है। किन्तु असली झगडा शयन कक्ष के बाहर होगा। दोनों का स्वभाव एक दूसरे के विरोधी है। 


सिंह-मिथुन- 

वायु तत्व और अग्नि तत्व का मेल मानसिक या बौद्धिक स्तर पर दिलचस्पी बनाए रखेगा।  सिंह जातक चाहता है कि उस पर विशेष ध्यान दिया जाए। मिथुन जातक की बहुविध दिलचस्पियों से वह स्वयं को उपेक्षित महसूस करता है। सिंह जातक का उच्च विचार दर्शन मिथुन जातक को भला लगता है। लेकिन उसकी नियंत्रण की इच्छा उसकी स्वतंत्र भावना को ठेस पहुंचा सकती है। यदि दोनों एक दूसरे को अपनी इच्छानुसार चलने दे ंतो यह एक शानदार जोडी हो सकती है। 

जब मिथुन पत्नी अपने सिंह पति के व्यक्तित्व को टटोलने का प्रयास करती है तो उसे अभिमानी बहिरंग के पीछे एक स्नेही हदय दिखाई देता है। जब वह उस पर छाने की बात करता है तो उसके मन में दोनों की भलाई की ही भावना होती है। वह उसकी व्यक्तिगत तथा सामाजिक स्वतंत्रता की इच्छा का सम्मान करता है, किन्तु बदले में चाहता है कि पत्नी उसकी प्रशंसा करे। जब दोनों साथ रहते है तो सिंह पति को मिलने वाले सत्कार से पत्नी अपने को उपेक्षित अनुभव करने लगती है और यह उसे बुरा लगता है। 

सिंह पति मिथुन पत्नी का परिवर्तनशील स्वभाव समझने में असमर्थ रहता है। पत्नी भी कभी कभी उसके नितांत आलसीपन को नहीं समझ पाती। किन्तु वह पत्नी के समय समय पर उठने वाले उबालों को क्षमा कर सकता है। पत्नी भी समझ जाती है कि समय आने पर उसका आलसीपन स्वयं दूर हो जायेगा। 

यौन संबंधों में मिथुन पत्नी की बदलती इच्छाएं सिंह पति को हैरानी में डाल देती है। किन्तु वह पूरे हदय से प्यार करता है और पत्नी की मानसिक दीवार ढह जाती है। जब पत्नी ऐसा नहीं कर पाती तो पति उसे ठंडा समझने लगता है। आश्चर्य की बात यह है कि निरंतर चुनौतियों के कारण यह संबंध प्रायः सफल रहता है। 

यदि पति मिथुन जातक है और पत्नी सिंह जातिका, तो प्रारंभ में उनकी अच्छी तरह से पट सकती है। पति पत्नी को एक धुआंदार सामाजिक जीवन में दीक्षित करना चाहेगा। लेकिन अन्ततः सिंह पत्नी की पति पर छाने की प्रवृति सामने आने लगेगी। कालांतर में पति विद्रोह कर उठेगा। एक दुष्चक्र बनने लगता है। पति अपना गला छुडाने का प्रयास करता है और पत्नी उसे अधिकाधिक जकडकर रखना चाहती है। इस प्रक्रिया में पे्रम समाप्त हो जाता है। यौन संबंधों में पति को काफी मानसिक उत्तेजना चाहिये। वह नई नई कल्पनाओं और परीक्षणों में विश्वास करता है। सिंह पत्नी की समझ में उसकी ये बातें नहीं आती। उसमें कामेच्छा बहुत आसानी से जागृत हो सकती है। अपने संबंधों को सफल बनाने के लिये उसे परंपरा से हटकर प्यार करना सीखना आवश्यक है। 

कर्क - सिंहः- 

पानी और आग का मेल नहीं हो सकता। लेकिन इस योग में दोनों राशियों के स्वामी चंद्र और सूर्य परस्पर मित्र  है। स्वभाव में अन्तर के बावजूद यह बंधन सुदृढ रहेगा। कर्क व्यक्ति को प्रायः झुकना पडेगा। उधर सिंह के सूर्य में कर्क चंद्रमा को अधिक प्रकाश देने की सामथ्र्य है। सिंह जातक चाहता है कि उसकी प्रशंसा की जाए और उसकी ओर ध्यान दिया जाए। कर्क जातक प्रसन्नता से यह काम कर सकता है। 

यदि पत्नी कर्क जातिका है और पति सिंह जातक हो तो इच्छानुसार काम न होने पर वे अनेक दिन तक बात नहीं कर पाते है। ऐसी स्थिति में कर्क पत्नी के लिये समझदारी इसी में ही है कि वह अपने नारी सुलभ गुणों से पति को प्रसन्न करे। वह घर में पति की इच्दा का वातावरण प्रदान करके उसकी दुखती रगों को शांत करे। सिंह पति खेलों में भी अपना बहुत समय खराब कर सकता है। पत्नी को उसके खेलों में रूचि लेनी चाहिये। अन्यथा उसकी उपेक्षा हो सकती है या उसके साथ बुरा व्यवहार हो सकता है। कभी कभी सिंह पति को पैसा खर्च करने की लत पड सकती है। इससे कर्क पत्नी की बचत बिगड सकती है। सिंह पति भविष्य की चिंता नहीं करता। वह अपने वर्तमान को जीता है। 

यौन संबंधों में दोनों की भूख में बहुत अंतर होता है। कर्क पत्नी को पति की सहानुभूति और प्यार चाहिये जबकि सिंह पति कभी कभी पशुवत् आचरण कर सकता है। 

यदि पति कर्क जातक है जातक है और पत्नी सिंह जातिका तो प्यार का ज्वार उतरने पर पति के अतिप्रेम से पत्नी चिढने लगती है। सिंह पत्नी घर के कामकाज में अधिक कुशल या पारंगत नहीं होती और पति उसमें खोट निकालते है। लेकिन सिंह पत्नी अच्छी अतिथि सत्कारक होती है। जिसे कर्क पति पसंद करता है। कर्क पति को पानी के खेल अच्छे लगते है। जबकि सिंह पत्नी को उनमें कोई रूचि नहीं होती। पति यह सोचकर खुश होता है कि घर वह चला रहा है, जबकि पत्नी आर्थिक निर्भरता से चिढती है। परिणामस्वरूप उनके बीच अनेक वाद विवाद होते है। 

कर्क पति में कभी कभी शराब और खेल के प्रति एक साथ शौक जाग सकता है। इससे वह शराब पीकर लडखडा सकता है। प्रतीक्षा करती सिंह पत्नी की संभोग इच्छा पूरी करने में असमर्थ रहता है।

सिंह-सिंह-

जब आग से आग टकराती है तब क्या हो सकता है, इस कल्पना ही की जा सकती है। दो दृढ़ इच्छाशक्तियों वाले व्यक्तियों का यह मेल बहुत अच्छा हो सकता है और बहुत बुरा भी। दोनों ही प्रमुख बनना चाहते है, सहायक कोई नहीं ! यह जोड़ी सफल हो, इसके लिए दोनों ओर से लेन-देन की भावना होनी आवश्यक है । बारी-बारी से दोनों एक दूसरे की प्रमुखता स्वीकार कर सकते हैं । दोनों के लक्ष्य और उपाय समान हों तो यह असम्भव नहीं है

सिंह पति आमतौर से ऐसी पत्नी चाहता है जिसमें नारी सुलभ गुण हो । सिंह-पत्नी ऐसी नारी नहीं हो सकती। स्थिति कुछ इस प्रकार की होगी-तू राजा तो मैं हूं रानी, कौन भरे कुएं से पानी । लेकिन यह भी सच है कि सिंह से अधिक उदार दूसरी राशि का जातक नहीं होता। उनमें प्यार की अपार क्षमता होती है। इससे आग पर कुछ छींटे पड़ने की आशा की जा सकती है। दोनों दिखावट पसन्द होते हैं। अपनी यह इच्छा पूरी करने के लिए वे अपने घर को इस प्रकार साज-संवार कर रख सकते हैं कि जो देखे, देखता रह जाए। यह भी हो सकता है कि सब कुछ दांव पर लगा देने के स्वभाव के कारण कभी सिंह पति का हाथ तंग हो जाए और उस समय सिंह-पत्नी का पासा सीधा पड़ रहा हो।

सिंह-जातक में यौन की प्रबल भूख होती है, अतः इस स्थिति में दोनों के समय का एक बड़ा भाग शैया पर बीतने और वहीं अपने घरेलू विवाद सुलझाने की सम्भावना है। उनमें शारीरिक आकर्षण की कमी नहीं होती। इससे उनका यौन जीवन विभिन्न दिशाओं में विस्तार पा सकता है। यदि आपसी सम्बन्धों में ईमानदारी बनी रहे तो वे एक दूसरे की थोड़ी ऊंच-नीच को भी सहन कर सकते हैं।

सिंह-कन्या-

अग्नि राशि सिंह बहिर्मुखी है और अपनी प्रमुखता चाहती है । पृथ्वी राशि कन्या विनम्र और झुककर चलने वाली है। इस जोड़ी की सफलता इस बात पर निर्भर है कि कौन पति है और कौन पत्नी। व्यापार सम्बन्धों में सिंह जातक का अधिकारी तथा कन्या जातक का सहायक होना ठीक रहता है । सिंह जातक की तीव्र भावनाएं कभी-कभी आत्म संयमी कन्या जातक के लिए अधिक तेज हो सकती हैं, किन्तु वह शायद ही कभी अपने मन की बात कहता हो।

यदि पत्नी सिंह जातिका है और पति कन्या जातक, तो दोनों के आर्थिक चिन्तन में भारी अन्तर रहने की सम्भावना है । कन्या पति पैसे को फूंक-फूंककर खर्च करना चाहता है और इससे सिंह पत्नी की उदारता को चोट पहुंच सकती है। पत्नी का रवैया यह रहता है कि खर्च अब करो, उसकी चिन्ता बाद में करो। अपने अहम् की तुष्टि के लिए पत्नी की किसी खर्चीली खरीद पर पति कडी आलोचना ही कर सकता है। इससे उसके मन को गहरी चोट पहुंचना स्वाभाविक है। 

मनोरंजन के प्रति उनके दृष्टिकोण में भी अन्तर होता है। पति के लिये यह समय की बर्बादी है जब कि पत्नी के जीवन का वह महत्वपूर्ण अंग है। पत्नी को अपने प्रियजनों को खिलाना-पिलाना बहुत भाता है। पति बिल भरना होता है तो उसकी त्योरियां चढ़ना स्वाभाविक है। काम के बारे में भी यही बात है। पति प्रशंसा या आर्थिक लाभ के बिना चैदह-चैदह घंटे लगातार काम करता रहेगा और पत्नी उससे आधे समय में ही धन तथा यश दोनों कमा लेगी। उनके यौन सम्बन्ध भी निराशापूर्ण रहेंगे।

यदि पति सिंह जातक है और पत्नी कन्या जातिका तो काम-ज्वर उतरने पर उनके अन्तर उभरने लगेंगे। पति पत्नी से चापलूसी और प्रशंसा चाहेगा और पत्नी के लिए यह कठिन होगा। पति के अहम् पर चोट लगने पर उसके उदण्ड हो उठने की सम्भावना है । आर्थिक मामलों में भी अन्तर दिखाई देने लगेगा। पति का खुले हाथ से खर्च करना तथा उसकी उदारता पत्नी में हठ तथा कंजूसी की भावना पैदा करेंगे। दोनों बात-बात पर लड़ने लगेंगे।

पति के कभी-कभी निष्क्रियता के दौरे भी पत्नी की समझ से बाहर रहेंगे। उसकी लानत-मलामत का भी कोई प्रभाव नहीं होगा । होगा तो यही कि पति उसे झगड़ालू समझकर उसमें रुचि लेना बन्द कर देगा और अपनी भावनाओं की तुष्टि के लिए इधर-उधर झांकने लगेगा।

सिंह-तुला-

आग का वायु से मेल बैठ जाता है। इन दो राशियों के जातकों में जीवन के अनेक आनन्द समान रूप से भोगने की स्वाभाविक प्रवृत्ति होती है । तुला जातक हर बात में संतुलन चाहता है । सिंह जातक उसे अत्यधिक खर्चीला, उदार, आत्मश्लाघी दिखाई देता है। सिंह जातक में प्रभुता की भावना होती है, किन्तु तुला जातक अपनी चतुराई से उसे अपना मन चाहा करा लेता है।

पत्नी सिंह जातिका और पति तुला जातक होने पर पत्नी मतभेद दूर करने तथा तनाव कम करने के लिए जहां बहस में विश्वास करती है वहां पति को उसके उबाल अप्रिय तथा असंतुलित लगते हैं। मतभेदों पर शाति से चर्चा करते समय उसे सिंह पत्नी के ज्वालामुखी का सामना करना पड़ता है। निर्णय लेने के प्रश्न पर भी दोनों में मतभेद हो सकता है। जब तक आवश्यक न हो पति किसी भी निर्णय से बचना चाहता है और पत्नी उसे उत्तरदायित्वहीन समझने लगती है।

तुला जातक स्वभावतः रूप-पिपासु होता है। कोई भी सुन्दर नारी पास से गुजरे, वह उसकी ओर आकर्षित होगा और उसे लुभाने का प्रयास करेगा।

पत्नी की आयु में बड़ा अन्तर होने पर यह बात और भी खुलकर सामने आती है । तुला जातक को यह अहसास चाहिए कि यौवन ढलना शुरू होने पर भी उसकी मोहिनी शक्ति कम नहीं हुई। सिंह पत्नी की दृष्टि से उसकी यह प्रवृत्ति छिपी नहीं रहती।

पति-पत्नी दोनों में कठोर परिश्रम की क्षमता होती है, किन्तु बीच-बीच में वे लम्बे समय तक निष्क्रिय भी रहते हैं । यह प्रवृत्ति दोनों में मिलती है, फिर भी वे एक-दूसरे पर आलसी होने का आरोप लगाते हैं

यौन सम्बन्धों में उनकी भूख लगभग समान होते हुए भी उसमें अन्तर होता है । पति को पत्नी में चमक-दमक तथा कल्पना चाहिए जबकि पत्नी का रवैया अधिक उदार तथा सीधा-सादा होता है। निदान पति अन्यत्र सन्तोष की खोज करने लगता है।

जब पति सिंह जातक हो और पत्नी तुला जातिका तो पत्नी पति के पौरुष से प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकती। उसके मन को चोट तब पहुंचती है जब पति को निष्क्रियता का दौरा पड़ता है । शीघ्र ही वह समझने लगती है। कि चापलूसी की एक अच्छी खुराक उसे पुनः गतिशील बना सकती है। धीरे धीरे वह पति की प्रमुख भावना से भी समझौता करने लगती है। लेकिन जब पति अपनी गलती होने पर भी उसे स्वीकार करने को तैयार नहीं होता तब उसकी न्याय-भावना को आघात लगता है।

यह युगल अपनी मित्र-मंडली में बहुत लोकप्रिय रहेगा। सिंह पति मित्रों को खिलाने-पिलाने में विश्वास करता है और तुला-पत्नी उत्तम अतिथि-सत्कारक सिद्ध होती है। यदि वे समझदारी से काम नहीं लेते तो अच्छी-अच्छी वस्तुओं पर खर्च करने का उनका स्वभाव उन्हें अल्प समय में ही धनहीन बना सकता है। ऐसी स्थिति में आर्थिक दायित्व पति को ही सम्भालना पड़ सकता है । पत्नी अपनी असहायता का नाटक कर उसे इसके लिए तैयार कर सकती है। सिंह जातक में आमतौर से ईष्र्या नहीं होती। किन्तु यदि पत्नी अपने व्यवसाय में उससे अधिक सफल होने लगती है तो पति की ईष्र्या जागे बिना नहीं रह सकती। अतः अच्छा हो कि पत्नी अपनी सफलता की बात पति को न बताए ।

यौन-व्यवहार में पति पत्नी को व्यस्त और प्रसन्न रखेगा। दोनों के लिए अपने प्रेम का प्रदर्शन करना और एक-दूसरे को संतुष्ट रखना कठिन नही है। दोनों के सम्बन्ध जोशीले और अच्छे रहेंगे। 

सिंह-वृश्चिक- 

इन दो शक्तिशाली, दृढ़ इच्छा शक्ति वाली राशियों में आग और पानी का मेल तूफानी सिद्ध हो सकता है । याद दोनों के लक्ष्य मिल जाएं और वे मिलकर प्रयास करें, तो यह जोड़ी क्या नहीं कर सकती। सिंह जातक स्पष्टवादी होने से वृश्चिक जातक की गुप्त, रहस्यमयी चालों को समझने में असमर्थ रहेगा और सौदेबाजी में उससे प्रायः असहमति प्रकट करेगा।

सिंह-पत्नी के उदार और मुंहफट होने का यह अर्थ नहीं है कि वह अपने बारे में सभी कुछ खोल देगी। जब वह वृश्चिक-पति की भेदी आंखों को अपना ओर घूरते देखती है तो बरसे बिना नहीं रह सकती। वृश्चिक जातक में अपने सम्पर्क में आने वाले हर व्यक्ति को तोलने की प्रवृत्ति होती है। यद्यपि वह अपने मन की गांठ खोलने में विश्वास नहीं करता। वृश्चिक-पति यह कभी पसन्द नहीं करेगा कि पत्नी उसकी छानबीन करे। यही कारण है कि वृश्चिक जातक को उपयुक्त जीवन साथी मिलने में कठिनाई होती है । मिलता है तो उस पर उससे अत्यधिक अपेक्षाएं करने का आरोप लगाया जा सकता है। वृश्चिक पति पूर्ण निष्ठावान, किसी व्यवसाय में न लगी और अपने लिए कोई महत्वाकांक्षा न रखने वाली, पूरी तरह से पति में समर्पित पत्नी की अपेक्षा करता है। सिंह पत्नी अपने पृथक व्यक्तित्व में विश्वास करती है। इससे दोनों के बीच असुरक्षा और क्रूरता ही पैदा हो सकती है। सिंह पत्नी की अधिक खर्च की प्रवृत्ति भी वृश्चिक पति को प्रसन्नता प्रदान नहीं कर सकती। आवश्यकता पड़ने पर धन खर्च करने को वह भी तैयार हो जाएगा लेकिन अपनी मर्जी और सुविधा से।

यौन-व्यवहार में पत्नी की भावना को इस बात से चोट पहुंच सकती है कि पति उसकी भांति उत्साह प्रदर्शित नहीं कर रहा । लेकिन पति की प्रबल यौन-भूख कुछ सीमा तक इसकी इच्छापूर्ति कर सकती है।

यदि पति सिंह जातक है और पत्नी वृश्चिक जातिका, तो पत्नी की दृढ़ता को देखकर पति को अपना नेतृत्व खतरे में दिखाई देगा। और उसमें उदंडता आ सकती है। दोनों में दूसरों को देखने की स्वाभाविक इच्छा पाई जाती है, जिससे यह सम्बन्ध युद्ध-क्षेत्र में परिवर्तित हो सकता है । पत्नी का “मेरी बात ही सही है वाला दृष्टिकोण पति को नाराज कर देगा, यद्यपि पति यह नहीं समझ पाता कि उसका अपना भी यही दृष्टिकोण है। सिंह पति का वृश्चिक पत्नी को घर तक सीमित रखने के प्रयास पर वह विद्रोह से उत्तर देगी। पति का आलसीपन भी उसकी समझ में नहीं आएगा। वह उसे कुरेदने का प्रयास सकती है, लेकिन इसमें उसे निराशा ही मिलेगी। पति के खर्चीलेपन को लेकर भी दोनों में वाद-विवाद होते रहने की सम्भावना है।

यौन-सम्बंध दोनों के सम्बंधों को सुदृढ़ करने का एकमात्र साधन हो सकते हैं। दोनों में गहरी कामेच्छा पाई जाती है। और वे अच्छे सक्रिय यौन जीवन के महत्व पर सहमत हो सकते हैं।

सिंह-धनु-

अग्नि-तत्व वाली इन दो राशियों के मेल के ठीक से काम करने की आशा है । सिंह का स्वामी सूर्य और धनु का स्वामी गुरु दोनों आशावादी हैं तथा व्यापक दृष्टिकोण अपनाने वाले हैं। दोनों खुले दिल वाले, उदार और स्पष्टवादी हैं । वे एक दूसरे को और सम्पन्न कर सकते हैं। किन्तु यदि सिंह जातक ने अधिक आत्मश्लाघा से काम लिया अथवा स्वतंत्रता प्रिय धनु जातक को दबाने का प्रयास किया तो वह विद्रोह कर उठेगा । इसी प्रकार यदि धनु जातक ने आवश्यकता से अधिक स्वतन्त्रता दिखाई तो सिंह जातक स्वयं को उपेक्षित अनुभव करेगा।

धनु जातक की पत्नी के रूप में सिंह जातिका प्रारम्भ में यही महसूस करेगी कि उसे सही पति मिला है जो उसके प्रेम का प्रतिदान दे सकता है। वह यह नहीं समझ पाएगी कि ऐसा वह अन्य महिलाओं के साथ भी कर सकता है, यद्यपि उनके सम्बन्ध देर तक चलने की सम्भावना नहीं है। व्यक्तिगत स्वतन्त्रता और निर्दोष हरजाईपन की आवश्यकता पर पति के विचार सुनकर सिंह पत्नी को धक्का लगेगा । लेकिन यदि धनु पति बड़े आर्थिक लाभ के लिए कोई दांव लगाना चाहेगा, तो सिंह पत्नी उसका समर्थन करेगी। दांव उलटा पड़ जाने पर भी वह शिकायत नहीं करेगी।

दोनों की रुचियां भी भिन्न हो सकती है। पति घूमने का शौकीन हो और पत्नी घर में ही आनन्द उठाना चाहती हो। इसमें भी उनमें कोई समझौता होना कठिन नहीं होगा । यदि पत्नी पति से अलग कोई स्वतंत्र काम करना चाहेगी तो इसमें उसे पति का पूरा समर्थन मिलेगा। धनु जातक इसमें विश्वास नहीं करता कि कोई व्यक्ति दूसरे पर निर्भर रहे।

यौन सम्बन्धों में पत्नी को पति को बांधे रखने का प्रयास नहीं करना चाहिए। इधर-उधर थोड़ा-बहुत मुंह मारकर वह सदा घर लौट आएगा और अंतत यह निश्चय भी कर सकता है कि उसे अन्य महिलाओं के पास जाने की आवश्यकता नहीं है। कभी-कभी परीक्षण करने या अन्य व्यक्तियों को अपने यौन-जीवन में साझेदार बनाने की उसकी इच्छा पर रोक नहीं लगानी चाहिये। बल्कि पत्नी कं लिए उसे यह विश्वास दिलाना उचित होगा कि एक दिन वह इसमें भी उसका साथ देगी। इस प्रकार वह उस पर अंकुश का अहसास दिलाए बिना भी उसकी दिलचस्पी बनाए रख सकेगी।

यदि पति सिंह जातक है और पत्नी सिंह जातिका, तो आरंभ में पति के स्वभाव से भारी अभिभूत होगी। इससे मिन्न स्वभाव वाला विद्रोह की भावना पैदा कर सकता है। उनके बीच विवाद का पहला कारण पति का अभिमान बनेगा। यदि उसने पत्नी को किसी अन्य व्यक्ति की प्रशंसा करते सुन लिया तो उसे इतना अधिक क्रोध आएगा कि अपने सम्बन्ध तक तोड़ सकता है। वह अपने घर में किसी प्रतियोगी को सहन नहीं कर सकता। यदि पत्नी पति के अहम् तथा गर्व को तुष्ट कर सके तो पति भी उसकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता की आवश्यकता को स्वीकार कर लेगा बशर्ते अन्य व्यक्ति बीच में न आयें। सिंह पति अपनी पत्नी को मित्रों के सामने लाना पसन्द करता है और पत्नी के लिए अच्छी-अच्छी वस्तुएं खरीद कर अपना प्यार जतलाने का प्रयास करता है।

पति-पत्नी दोनों की यौन-भूख काफी प्रबल होने के कारण उनका काफी समय शैय्या पर व्यतीत हो सकता है। यह एक उत्तम जोड़ी रहेगी।

सिंह-मकर-

दोनों राशियों के स्वामियों-सूर्य तथा शनि के स्वभाव में आकाश-पाताल का अन्तर है। सिंह जातक मकर जातक की वर्जनाओं से परेशान हो सकता है और मकर जातक सिंह जातक के खर्चीले तथा दिखाऊ स्वभाव से । सिंह जातक जीवन को पूरी तरह जीने में विश्वास करता है जबकि रूढ़िवादी मकर जातक भविष्य की योजना बनाकर चलना चाहता है। मकर जातक सिंह जातक की प्रेम के लिए तड़प को शायद ही समझ पाता हो।

यह बात तब और उभरकर सामने आती है जब पत्नी सिंह जातिका ही और पति मकर जातक।  ऐसा पति घर के बन्धन तोड़कर भाग जाना चाहता है। हो सकता है, किसी दिन पत्नी देखे कि उसका पति शैय्या से गायब है। फिर काफी ढिंढोरा पिट चुकने के बाद एक दिन वह स्वयं ही चुपचाप वापस भी आ सकता है। पत्नी की परेशानी को वह फिर भी अनुभव नहीं करेगा।

दोनों के दृष्टिकोणों में मौलिक अन्तर पाया जाता है। पति का ध्यान इस बात पर नहीं जाता कि उसकी पत्नी ने नए ढंग से बाल संवारे हैं या साड़ी पहनी है । उसे इस बात की चिन्ता भी नहीं होती कि पत्नी भद्दी लग रही है या बुढ़िया दिखाई देने लगी है।

यदि पति सिंह जातक हो और पत्नी मकर जातिका, तब भी दोनों के बीच पटरी बैठना कठिन है। इसके लिए किसी एक को तो झुकना ही होगा, लेकिन एक-दूसरे के प्रति उनका विद्रोह इसे असम्भव बना देगा।

सिंह-कुम्भ-

राशिचक्र में ये राशियां आमने-सामने होने के कारण प्रारम्भ में सिंह जातक तथा कुम्भ जातक के बीच प्रबल आकर्षण पैदा हो सकता है जो कभी-कभी इतने ही प्रबल विकर्षण में बदल सकता है। दोनों स्थिर मत वाले, दृढ़ संकल्प वाले और अपने-अपने विचारों वाले होते हैं। अतः समझौते के बिना उनमें टकराव होता रहेगा। सिंह जातक चाहेगा कि उसके साथी का अधिकांश ध्यान उसी की ओर हो। कुम्भ जातक अपनी रुचियां, अपने आदर्श, अपना प्यार एक से अधिक व्यक्तियों को बांटेगा। सिंह जातक यह नहीं समझ पाएगा कि कुम्भ जातक इतना रहस्यपूर्ण, इतना विरक्त और इतना दूर क्यों है, और वह भी जब इसकी बिल्कुल आशा न हो।

जब पत्नी सिंह जातिका हो और पति कुम्भ जातक, तो उनमें दो बड़ी समानताएं मिलती है- निश्चित विचार और अभिमान । इसके कारण उनमें अनेक झगड़े पैदा हो सकते हैं। पति मानवतावादी है और अपने आदर्शों के लिए भौतिक लाभों की चिन्ता नहीं करता। पत्नी के लिए आर्थिक सफलता पहली आवश्यकता है। पति के आदर्शों को वह बेकार समझती है, हालांकि जब पति उदास होकर घर लौटता है तो सबसे पहले उसे प्यार और धीरज वही देती है। साथ ही वह यह कहने से भी नहीं चूकती मैंने तुमसे पहले नहीं कहा था ! वह शीघ्र समझ जाएगी कि उसे इस व्यक्ति की सहयोगिनी पहले बनना चाहिए और प्रेमिका बाद में । उसे पति की इच्छा की नई रुचियों में भाग लेना होगा।

यदि कुम्भ पति छोटे विचारों वाला है तो उनके बीच तेज झड़पें हो सकती हैं। सिंह पत्नी अपनी बात मनवाने के लिए लड़ने से झिझकती नहीं। उधर कुम्भ पति उसका रौद्र रूप देखकर कायरतापूर्वक हथियार डाल देगा। इससे पत्नी की दृष्टि में उसका सम्मान जाता रहेगा और उनके सम्बन्ध टूटने का खतरा हो सकता है।

इस युगल को अपने यौन सम्बन्धों के लिए अधिक समय नहीं मिलेगा। पति सदा किसी-न-किसी दूसरी दिलचस्पी में उलझा होगा और पत्नी को निराश करेगा। पति के लिए पत्नी की भूख बहुत अधिक हो सकती है जबकि पत्नी को पति अमानव दिखाई देगा।

यदि पति सिंह जातक है और पत्नी कुम्भ जातिका, तो तो भी दोनों के बीच शिकायतों के अनेक कारण रहेंगे। सिंह पति कामी होता है और पत्नी की विरक्ति से उसे चोट पहुंच सकती है। अपने अभिमान में वह उसका कारण जानने का प्रयास भी नहीं करेगा। उसे सदा यह महसूस होना चाहिए कि अपनी पत्नी के जीवन में उसी का सबसे अधिक महत्व है। ऐसा न होने पर उसका व्यवहार उदंडतापूर्ण हो जाएगा।

सिह पति में कुम्भ पत्नी की यौनेच्छा को जगाने की क्षमता होती है, किन्तु कभी-कभी उसके लिए पति की प्रबल भूख को शान्त कर पाना कठिन होता है। वह सांस लेने के लिए उसके बाहूपाश से छूटने का प्रयास करती है और पति इसे अपने पौरुष का अपमान समझता है। पति प्रशंसा पाने की अपनी भावना को यौन-व्यवहार में तुष्ट करना चाहता है। यदि ऐसे समय पत्नी उसकी आलोचना कर दे तो उसके लिए इससे अधिक बुरा अन्य कुछ नहीं हो सकता। दोनों के सम्बन्ध तूफानी रहने की सम्भावना है।

सिंह-मीन-

आग और पानी का अन्तर इन दो राशियों में स्पष्ट दिखाई देता है। सिंह सबसे अधिक स्पष्टवादी और बहिर्मुखी राशि है। मीन की प्रकृति रहस्यपूर्ण है। उसकी गहराई को माप पाना प्रायः सम्भव नहीं होता। सिंह जातक मीन जातक को समझने में असफल रहता है। दोनों की अलग-अलग दुनिया है।

सिंह पत्नी के लिए मीन पति का अस्थिर तथा परिवर्तनशील स्वभाव सदा रहस्य बना रहता है। अन्ततः वह उसके असंगत व्यवहार से ऊबकर उद्दड हो सकती है, और पति भी उसे अपने मन से और शरीर से पूरी तरह दूर कर सकता है । यौन-व्यवहार पर भी इन क्षण-क्षण बदलते मूडों का प्रभाव पड़ता है। किन्तु अति कामी सिंह पत्नी इस अवसर पर उन्हें सहने की बेहतर स्थिति होती है। दोनों पक्षों के लिए यौनाचार महत्वपूर्ण है और इसी पर उनके सम् बने रहना या टूटना निर्भर है। सिंह पत्नी यदि ईमानदारी से एक दुर्बल पति को स्वीकार कर सके तो उनके सम्बन्ध अच्छे बने रहेंगे, अन्यथा पति के आशानुरूप सिद्ध न होने पर उसके दुःख का ठिकाना नहीं रहेगा। दोनों के सम्बन्ध जटिल रहने की सम्भावना है।

यदि पति सिंह जातक हो और पत्नी मीन जातिका, तो पत्नी शीघ्र पति का अपने पर भारी दबाव महसूस करने लगेगी। पति चाहेगा कि छोटे मोटे काम करते हुए भी वह बराबर सजी-संवरी और सुन्दर दिखाई दे। पति के बड़े-बड़े सौदे और दांव लगाने की प्रवृत्ति पत्नी को भयभीत कर सकती है। वह आर्थिक मामलों में प्रायः पति पर निर्भर रहती है और पति की वित्तीय स्थिति में उतारचढ़ाव से उसका चिन्तित होना स्वाभाविक है, यद्यपि वह कर कुछ नहीं सकती।

ये तनाव उनके यौन सम्बन्धों को भी प्रभावित करते हैं। सिंह पति मीन पत्नी की रूमानी तथा कल्पनाशील इच्छा को पूरा तो बाद में करेगा, उन्हें समझ भी नहीं पाएगा। लेकिन वह गहराई और भावुकता से प्यार अवश्य कर सकता है और पत्नी को दर्द सहकर भी इसी से समझौता करना होगा। पति मन से तो पत्नी को चोट पहुंचाना नहीं चाहेगा, किन्तु उसकी आवश्यकताओं की उपेक्षा कर और अपनी आवश्यकताएं उस पर थोपकर वह करेगा यही । अतः इस साझेदारी से यथासम्भव बचना चाहिए।


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