Dasve bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal
दसवें भाव में
केतु का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल : केतु दशम में होने से जातक तेजस्वी, बलवान, शूरों में मुख्य, विरोधी वृत्ति का, कफ प्रकृति का होता है। जातक बुद्धिमान्, शास्त्रज्ञ, आत्मज्ञानी, शिल्पज्ञ, मिलनसार, प्रसिद्ध तथा विजयी होता है। दशमभाव में केतु होने से जातक का प्रभाव अतुलनीय होता है। युद्ध में शत्रु भी जातक की कीर्ति गाते हैं। जातक सदा प्रवासी होता है। केतु मीन या धनु में होने से उत्तम यश या वैभव मिलता है।
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अशुभ फल : दसवें भाव में केतु होने से जातक
कुरूप, मूर्ख, व्यर्थ परिश्रमशील, म्लेच्छकर्मा एवं अभिमानी होता है। जातक
भाग्यहीन और कष्ट भोगनेवाला होता है । दसवें भाव का केतु पितृ सुख से वंचित करता
है। जातक पिता से सुखी नहीं रहता है। दसवें भाव में केतु होने से जातक पितृद्वेषी
होता है। केतु दशमभाव में होने से पिता को कष्ट होता है। दशम में केतु अच्छे काम
में विघ्न करता है। जातक को घोड़ा, हाथी, गाय-बैल आदि से भय होता है। जातक को घोड़ा आदि
सवारी से गिरकर कष्ट होता है। वाहनों से पीडा पानेवाला होता है। परस्त्री में
आसक्त होता है।मन में सुख नहीं होता है। काले पदार्थ की रुचि होती है। दशम में
केतु व्यापार के लिए शुभ नहीं है। काम से कुछ लाभ नहीं होता है। दशमस्थकेतु होने
से गुदा रोग होता है। वातरोग से पीडित होता है। पाँव में रोग तथा चोरों से कष्ट
होता है।