Athve bhav me shukra ka shubh ashubh samanya fal
आठवें भावे में शुक्र का शुभ अशुभ सामान्य फल
शुभ फल : अष्टमभावगत शुक्र होने से जातक देखने में सुन्दर, विशालनेत्र, अतीबली, निर्भय-गर्वीला, प्रसन्नचित होता है।
अष्टमस्थान में शुक्र होने से जातक विद्वान्, मनस्वी, धर्मात्मा, ज्योतिषी और सदाचारी होता हैं। शारीरिक, आर्थिक या स्त्रीविषयक
सुखों में से कोई एक सुख प्रर्याप्त मात्रा में मिलता है। स्त्री-धनप्राप्त होता
है या किसी आप्त स्त्री की मृत्यु से धनप्राप्त होता है। मृत्युपत्र से, साझीदारी से लाभ होता है।
बीमे के व्यवहार में लाभ होता है। ट्रस्टी होकर अच्छा धन प्राप्त करते हैं। पत्नी
स्वाभिमानिनी, धैर्यसंपन्न, श्रेष्ठ स्वभाव वाली, मधुरभाषिणी तथा विश्वासयोग्य होती है। जातक की पत्नी जातक
का हित चाहने वाली होती है। मृत्यु किसी तीर्थ क्षेत्र में होती है। 75 वर्ष के बाद इसका मरण होता
है। मृत्यु शंति से होती है। दुर्घटनाओं का भय नहीं होता।
अष्टमभाव में शुक्र होने से जातक राजसेवक, राजद्वारा सम्मानित, राजमान्य, विदेशवासी, पर्यटनशील होता है। नौकर-चाकरों और सवारी के सुख से पूर्ण होता है। स्वजन बांधवों का सहयोग प्राप्त होता रहता है। आठवें स्थान में शुक्र होने से चौपायों से अर्थात् गाय, भैंस, बकरी घोड़ा आदि से सुख होता है। कभी धन की वृद्धि और कभी ऋण की वृद्धि होती है। शत्रुओं पर कष्ट से विजय प्राप्त करता है। धन का लाभ कष्ट से होता है। जातक के कार्य सरलता से सम्पन्न नहीं होते हैं। जातक राजतुल्य, सर्वसौख्य युक्त, धनवान् और भूमिपति होता है। सर्वथा संतुष्ट होता है। मनुष्यों का प्यारा होता है। कभी-कभी स्त्री तथा पुत्र की चिंता से युक्त होता है। अष्टम शुक्र होने से जातक पिता का ऋण चुकाता है तथा कुल की उन्नति करता है। अष्टमभाव का शुक्र मेष में होने से तृष्णा से मृत्यु होती है। शुक्र बलवान् होने से विवाह से, सट्टे से, या वारिस के रूप में अच्छा धनप्राप्त होता है। शुभग्रह की राशि में, या युति में शुक्र होने से जातक पूर्णायु, चिरजीवी-अर्थात् दीर्घायु होता हैं।
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
अष्टमभाव में शुक्र होने से जातक राजसेवक, राजद्वारा सम्मानित, राजमान्य, विदेशवासी, पर्यटनशील होता है। नौकर-चाकरों और सवारी के सुख से पूर्ण होता है। स्वजन बांधवों का सहयोग प्राप्त होता रहता है। आठवें स्थान में शुक्र होने से चौपायों से अर्थात् गाय, भैंस, बकरी घोड़ा आदि से सुख होता है। कभी धन की वृद्धि और कभी ऋण की वृद्धि होती है। शत्रुओं पर कष्ट से विजय प्राप्त करता है। धन का लाभ कष्ट से होता है। जातक के कार्य सरलता से सम्पन्न नहीं होते हैं। जातक राजतुल्य, सर्वसौख्य युक्त, धनवान् और भूमिपति होता है। सर्वथा संतुष्ट होता है। मनुष्यों का प्यारा होता है। कभी-कभी स्त्री तथा पुत्र की चिंता से युक्त होता है। अष्टम शुक्र होने से जातक पिता का ऋण चुकाता है तथा कुल की उन्नति करता है। अष्टमभाव का शुक्र मेष में होने से तृष्णा से मृत्यु होती है। शुक्र बलवान् होने से विवाह से, सट्टे से, या वारिस के रूप में अच्छा धनप्राप्त होता है। शुभग्रह की राशि में, या युति में शुक्र होने से जातक पूर्णायु, चिरजीवी-अर्थात् दीर्घायु होता हैं।
शुक्र के शुभ फल प्राप्त करें इन सरल उपायों से
अशुभ फल : अष्टम शुक्र होने से जातक
दुर्जन, निर्दयी, रोगी, क्रोधी, दुखी, गुप्तरोगी, शठ, घमंडी होता है। जातक रोगी-झगड़ालू, व्यर्थ घूमनेवाला, निकम्मा होता है। अष्टम शुक्र होने से जातक कठोर वचन
बोलनेवाला होता है। व्यर्थ का वाद करता है-अर्थात् जातक का बोलना गवाँर जैसा होता
है। अष्टम में शुक्र होने से जातक वंश के लिए अनुचित कर्म करने वाला होता है।
दरिद्रता और शत्रुओं से संतापित होता है। खर्चीले स्तर का निर्वाह करने के लिए
ऋण्ग्रस्त रहता है। परस्त्रीरत होता है। अष्टमस्थ शुक्र के कारण जातक प्रमेह एवं
गुप्तांग से संबंधित रोगों से पीडि़त होता है। मृत्यु वात-कफ से या क्षुधा से होती
है। शुक्र पीडि़त होने से पत्नी
खर्चीली होती है। अष्टम शुक्र मेष और कन्या में होने से विवाह
के अनंतर भाग्योदय का नाश होता है। आर्थिक संकटों का भूयस्त्व, व्यवसाय वा नौकरी में
असफलता, ऋणग्रस्तता अनुभव में आते हैं।