Saturday, 11 July 2020

Dusre bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal / दूसरे भाव में केतु का शुभ अशुभ सामान्य फल

Dusre bhav me ketu ka shubh ashubh samanya fal


दूसरे भाव में केतु का शुभ अशुभ सामान्य फल

शुभ फल : दूसरे भाव का केतु रूपवान्, सुखी-सम्पन्न बनाता है। अत्यन्त सुख प्राप्त होता है। अमितसुख तथा धन का लाभ होता है। धनभाव का केतु स्वगृह में या शुभग्रह की राशि में होने से जातक प्रिय तथा मधुरवचनवक्ता होता है।

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अशुभ फल : केतु धनभाव में होने से जातक की मति नित्य व्यग्र रहती है। बुद्धि भ्रम से युक्त होती है। जातक दुष्ट, दु:खी तथा भाग्यहीन होता है। और तिरस्कार का पात्र होता है। धनभाव का केतु होने से जातक के मन को ताप होता है। सदा दु:खित रहता है। कार्यों मे विघ्न होता है। यह केतु धर्मनाश करता है। जातक नीचों की संगति में रहता है। केतु के धनस्थ होने से जातक को विद्या और धन का अभाव रहता है। धनस्थान का केतु धनहानि करता है। केतु दूसरे भाव में होने से धन के विषय में राजपक्ष से व्यग्रता अर्थात् डर लगा रहता है। राजा से धन की हानि होती है। राजा से भय और कष्ट होता है। जातक पितृधन से वंचित होता है। मुख में रोग होता है। आदर-सत्कार का वचन भी जातक के मुख से नहीं निकलता है। सभा में जातक का भाषण सरस नहीं होता है प्रत्युत खराब होता है। बोलना बहुत तीखा होता है। जातक बुरी नजर से देखता है। 

धनस्थान का केतु धन-धान्य का नाश करता है। अन्न की नित्य चिन्ता रहती है। दूसरों के अन्न पर अवलम्बित रहता है। बान्धवजनों के साथ कलह होता है। कुटुम्बियों से झगड़े होते हैं। द्वितीय भाव के केतु से जातक का कुटुम्ब के लोगों से तथा मित्रों से विरोध होता है। जातक स्त्रीसुख से रहित होता है। धन स्थान में केतु से पुत्र की मृत्यु होती है। नुकसान के कारण धन्धा बन्द होना, दीवालिया होना, बदनामी- ये फल मिलते हैं।  अशुभफल पुरुषराशियों में अधिक अनुभव में आते हैं।